विक़ार एनकाउंटर तहक़ीक़ात का चिराग़ सुलगने से पहले बुझ गया!

जुनूबी हिंद की दो तेलुगु रियासतों आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में एक ही दिन 7 अप्रैल को पुलिस एनकाउंटरस के दो अलग अलग वाक़ियात पेश आए थे।

आंध्र प्रदेश के ज़िला चित्तूर के सुयशा चिलिम जंगलात में सुर्ख़ संदल के स्मगलरों के नाम पर टामिलनाडु के 20 ग़रीब लक्कड़ हारूँ को मौत के घाट उतार दिया गया था तो दूसरी तरफ़ तेलंगाना के नलगेंडा में आलेर के मुक़ाम पर पाँच ज़ेर दरयाफ़त मुस्लिम क़ैदीयों को हैदराबाद की अदालत में मुक़द्दमा की समाअत के लिए वर्ंगल से मुंतक़ली के दौरान पुलिस एनकाउंटर में हलाक कर दिया गया।

दोनों वाक़ियात में पुर इसरार और नाक़ाबिले फ़हम हालात में पुलिस एनकाउंटर के हैं लेकिन चित्तूर वाक़िये पर अंग्रेज़ी-ओ-तेलुगु मीडीया के अलावा तक़रीबन तमाम सियासी जमातों और ग़ैर सरकारी तंज़ीमों ने ज़बरदस्त एहतेजाज किया और हत्ताके हैदराबाद हाईकोर्ट ने भी तहक़ीक़ात के अमल पर नाराज़गी का इज़हार किया है लेकिन आलेर एनकाउंटर पर एसा कुछ भी नहीं हुआ।

सियासी जमातों और मीडीया ने तास्सुब के सबब ख़ामोशी इख़तियार की। हद तो ये हैके मुसलमानों की नुमाइंदगी और क़ियादत की दावेदार जमात ने भी हक़परसती के बजाये मस्लिहत पसंदी को तर्जीह दी।

नाम निहाद ग़ैर सरकारी तंज़ीमों की रिवायती गरमोशी भी सर्द मोहरी में तबदील होगई। चुनांचे विक़ार एनकाउंटर की तहक़ीक़ात महिज़ एक दिखावा और आँसू पोंछने की एक झूटी कोशिश साबित होगई।

सी बी आई या कम से कम बरसर ख़िदमत हाईकोर्ट जज के ज़रीये तहक़ीक़ात तो दरकिनार हुकूमत तेलंगाना की तरफ़ से तशकील शूदा ख़ुसूसी तहक़ीक़ातयय टीम (एस आई टी) की तहक़ीक़ात भी अब लेत-ओ-लाल का शिकार होगई हैं।

वाज़िह रहे के हुकूमत ने 13 अप्रैल को 6 पुलिस ओहदेदारों पर मुश्तमिल स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम(एस आई टी ) क़ायम की थी जिस की क़ियादत की ज़िम्मेदारी साबिक़ा एडीशनल कमिशनर आफ़ पुलिस क्राइम्स हैदराबाद सिटी और मौजूदा इंस्पेक्टर जनरल आफ़ पुलिस संदीप शनडलीह के हवाले की थी।

इस टीम में सुपरिन्टेन्डेन्ट आफ़ पुलिस खम्मम शाहनवाज़ क़ासिम डिप्टी सुपरिन्टेन्डेन्ट आफ़ पुलिस इंटेलिजेंस एम दयानंद रेड्डी अस्सिटेंट कमिशनर आफ़ पुलिस माधापुर एम रमना कुमार और सिटी पुलिस के दो इंस्पेक्टर एन एल राजा वेंकट रेड्डी (चादर घाट) पुलिस स्टेशन और एस रवींद्र (हुमायूँनगर) शामिल हैं।

हुकूमत ने एस आई टी को क्रीमिनल प्रोसीजर कोड के तहत इस लिए क़ायम किया है चूँकि ये केस ख़ुसूसी तहक़ीक़ात की जनि चहिये। हताके एनकाउंटर के मुक़ाम का मुआइना भी अब तक नहीं किया।

शनडलीह के अचानक 20 दिन तवील रुख़स्त पर रवाना होने से रियासत के सीनीयर पुलिस ओहदेदार और एस आई टी में मौजूद दुसरे पुलिस ऑफीसरस उलझन का शिकार होगए।

शनडलीह ने एल्टी सी(Leave Travel Concession) की बुनियाद पर रुख़स्त हासिल की है और वो 18 मई को अपनी डयूटी पर रुजू होंगे और बादअज़ां एस आई टी कार्रवाई का आग़ाज़ होने की उम्मीद है।

आलेर एनकाउंटर के लिए क़ायम की गई एस आई टी इब्तिदा से ही तन्क़ीद का शिकार रही है क्युंकि इस टीम में बाज़ एसे पुराने चेहरे मौजूद हैं जो मह्दीपटनम में पेश आए 11 साला कमसिन तालिब-ए-इल्म शेख़ मुस्तफ़ा क़त्ल केस की तहक़ीक़ाती टीम के रुकन थे और ये केस भी जैसे का वैसा है हालाँकि इस हक़ीक़त से अब सब को मालूम होचुका है कि विक़ार और इस के साथी एनकाउंटर के वक़्त हथकड़ियों और बीड़ियों में जकड़े हुए थे और वो मुश्किल से कोई हरकत भी नहीं करसकते थे तो पुलिस पर हमले की कोशिश कैसे करसकते थे। विवर किया जाता हैके आलेर एनकाउंटर का वाक़िया तनाज़ा का शिकार है और इस एनकाउंटर को कई तंज़ीमों और महलोकीन के वालिदैन ने फ़र्ज़ी क़रार दिया है।

संदीप जो रियासत के सीनीयर आई पी एस ओहदेदार हैं और उनका ताल्लुक़ 1993 आई पी एस बयाच से है। हुकूमत ने उन्हें एस आई टी का सरबराह बनाते हुए एनकाउंटर केस की तहक़ीक़ात की ज़िम्मेदारी सौंपी थी ताकि हक़ायक़ का पता लगाया जा सके।लेकिन हैरत की बात ये हैके एस आई टी ने टीम तशकील दिए जाने के 15 दिन बाद भी केस से मुताल्लिक़ कोई पेशरफ़त नहीं की।