नई दिल्ली, सबत खान। जामिया मिल्लिया इस्लामिया में मंगलवार को सोशल वर्क विभाग के स्वर्ण जयंती के मौक़े पर एक सार्वजानिक व्याख्यान जिसका विषय ” विकास, विस्थापन और मानव अधिकार की चिंताएं ” प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर द्वारा आयोजित किया गया। समारोह का आयोजन जामिया एम ए अंसारी सभागार में किया गया। जहाँ प्रख्यात मेधा पाटकर के साथ, जामिया के कुलपति प्रो. तलत अहमद, सोशल वर्क विभाग की अध्यक्ष उश्विंदर कौर पोपली और सोशल साइंस विभाग के डीन ए. पी. सिद्दीकी मौजूद थे।
सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने विकास के नाम पर हो रही विस्थापना की राजनीति को मुख्य बिंदु के रूप छात्रों के सामने रखा। उन्होंने कहा कि विकास के नाम पर क्या हो रहा है, हमे यह समझने की ज़रूरत है। उनका कहना था की विकास राजनीती और सरकार का मंत्र बन गया है। उनका मानना है कि विकास सहभागीदारी के साथ होना चाहिए। उन्होंने गरीबो के श्रम और उनके हक पर बात करते हुए कहा की विकास के नाम पर जो भी इस देश में हो रहा है उसका लाभ लेने वाले कम नही है।
मेधा पाटकर ने एक बड़ा सवाल करते हुए यह भी कहा कि “क्या विस्थापन के बिना विकास नही हो सकता है”? इसके लिए ज़रूरी है कि हमे प्रोद्योगिकी का चुनाव, राज्य की क्षमता के अनुरूप करना होगा और साथ ही विकास की एक नई परिभाषा की ओर छात्रों का ध्यान आकर्षित किया। मेधा पाटकर का मानना है कि समाज कि तरफ देखने का नाज़िया ही नही केवल, समाज का अधिकार, समाज के लिए होने का अवकाश को हमे गणतन्त्र का पहला स्तंभ मानना होगा, साथ ही उन्होंने आदिवासी एंव दलितों की परिस्तिथियों को भी उजागर किया। आखिर में मेधा पाटकर ने अपनी बात ख़तम करते हुए कहा कि विकास के लिए हमे संघर्ष और निर्माण दोनों करना होगा।
अध्यक्ष विभाग उश्विंदर कौर ने विभाग की स्थापना से लेकर उसके बदलते स्वरुप तक की चर्चा कर, विभाग की सफलता की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करवाया, किस तरह विभाग राष्ट्रीय से लेकर अंतर्राष्ट्रीय तक अपनी पहचान बना चूका है। इसके अतिरिक्त मुख्य अतिथि मेधा पाटकर के साथ मिलकर जामिया के कुलपति प्रो. तलत अहमद ने स्वर्ण जयंती के प्रतीक चिन्ह का उद्घाटन किया।
समारोह के अंत में विभाग के सदस्य संजय ने मंच पर मौजूद मुख्य अतिथि मेधा पाटकर और समारोह में मौजूद सभी मेहमानों का धन्यवाद किया और साथ ही प्रो. तलत अहमद ने सोशल वर्क विभाग को उनके स्वर्ण जयंती पर बधाई देते हुए समारोह की समाप्ति की।