विजयंती माला के साथ मुशाबहत थी : बी सरोजा देवी

अपने ज़माने की हसीन और कामयाब अदाकारा पी सरोजा देवी जिन्होंने हिन्दी फिल्मों के इलावा तेलगु और तमिल फिल्मों में भी अदाकारी की। गुज़श्ता माह अपनी रिहायश गाह में फिसल कर गिर जाने से शदीद तौर पर ज़ख्मी हो गई थीं जिस की वजह से उन के हाथ पर प्लास्टर बांध दिया गया और डॉक्टर्स ने आराम का मश्वरा दिया था।

इस सिलसिला में ख़ुसूसी तौर पर जुनूबी हिंद के मीडीया में इन की सेहत के ताल्लुक़ से काफ़ी तशवीश पाई जा रही थी। जब उन से बड़ी मुश्किल से राबिता क़ायम हुआ तो पैग़ाम, ससुराल और प्रीत ना जाने रीत जैसी मशहूर हिट फिल्मों की हीरोइन बी सरोजा देवी ने कहा कि फ़िल्मी मस्रूफ़ियतें तो ज़्यादा नहीं हैं लेकिन वो कन्नड़ अदाकार अंबरीश की सालगिरा तक़रीब में जाने की तैयारीयां कर रही थीं कि घर में हादिसा पेश आया।

याद रहे कि पैग़ाम में सरोजा देवी और विजयंती माला दोनों के अहम रोल थे। शम्मी कपूर के साथ उन की फ़िल्म प्रीत ना जाने रीत ने सिलवर जुबली मनाई थी जबकि राजेंदर कुमार के साथ उन की फ़िल्म ससुराल ने गोल्डन जुबली मनाई थी जिस का एक गाना तेरी प्यारी प्यारी सूरत को किसी की नज़र ना लगे बेहद मक़बूल हुआ था जिस पर मरहूम मुहम्मद रफ़ी को फ़िल्म फेयर ऐवार्ड दिया गया था।

बी सरोजा देवी से जब ये पूछा गया कि क्या वो इस बात से मुत्तफ़िक़ (सहमत) हैं कि विजयंती माला और उन में काफ़ी मुशाबहत ( समांता) है जिस का जवाब देते हुए उन्हों ने कहा कि जी हाँ! विजयंती माला और उन में काफ़ी मुशाबहत थी लेकिन करियर विजयंती माला का ज़्यादा कामयाब था।