कई मर्कज़ी विज़ारतें अपने वुज़रा और सीनियर ओहदेदारों के अंदरून-ओ-बैरून-ए-मुल्क दौरों की तफ़सीलात का बरसर-ए-आम इन्किशाफ़ करने की सरकारी हिदायत पर अमल आवरी करने से हनूज़ क़ासिर रही है। हालाँकि हुकूमत ने एक साल क़बल ऐसा करने का लज़ूम आइद किया था। विज़ारत पर्सोनल ने पिछ्ले साल 11सितंबर को हिदायत दी थी कि हर किस्म के दौरों की तफ़सीलात का बरसर-ए-आम ऐलान किया जाये और इस मुद्दत के दौरान वफ़द में कितने अफ़राद शामिल थे और ऐसे दौरों पर कितने रक़म ख़र्च हुई है इसका इन्किशाफ़ किया जाये।
सिवाए विज़ारत पर्सोनल के जितने जारीया साल जून तक के तमाम दौरों की तफ़सीलात अपनी वैब साईट पर शाय की हैं। मर्कज़ी हुकूमत की किसी भी विज़ारत ने ताहाल ताज़ा तरीन मालूमात अपनी वैब साईट पर फ़राहम नहीं की। वज़ीर-ए-आज़म का दफ़्तर वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह के अप्रैल 2013 तक दौरों की तफ़सीलात शाय कर चुका है लेकिन इसके बाद की तफ़सीलात का ऐलान हनूज़ करने से क़ासिर रही है।
वज़ीर-ए-आज़म के दफ़्तर के ओहदेदारों के दौरों की तफ़सीलात जनवरी फ़बरोरी और मार्च 2012 के लिए वैब साईट पर दस्तयाब है। विज़ारत-ए-ख़ारजा ज़राअत बर्क़ी तवानाई माहौलियात जंगलात और विज़ारत-ए-दाख़िला अभी तक ताज़ा तरीन इत्तिलाआत शाय करने से क़ासिर रही हैं। विज़ारत पर्सोनल के एक सीनियर ओहदेदार ने कहा कि तमाम मर्कज़ी विज़ारतों को अंदरून-ओ-बैरून-ए-मुल्क दौरों की जो उनके वज़ीरों और सीनियर ओहदेदारों ने किए हैं तमाम तफ़सीलात ऑनलाइन शाय करने की हिदायत दे दी गई है और जल्द अज़ जल्द इस हिदायत की तामील के लिए याददहानी का मकतूब भी जारी किया गया है।
याद दहानी अप्रैल के महीने में की गई थी। कई दरख़ास्तें ज़ेर-ए-इलतिवा हैं जिन में हक़ मालूमात क़ानून के तहत ऐसे दौरों की तफ़सीलात फ़राहम करने की ख़ाहिश की गई है। ये भी शिकायत की गई है कि बाक़ायदा वक़फ़ा से मालूमात फ़राहम नहीं की जाती।