रिज़र्व बैंक के कर्मचारियों ने बैंक गवर्नर उर्जित पटेल को एक पत्र के द्वारा बैंक के स्वतंत्रतापूर्वक संचालन नहीं होने के कारण अपना खेद प्रकट किया है| इस पत्र में खास तोर से बैंक के उच्च अधिकारियों और कर्मचारियों का संघ कहे जाने वाले समूह ने इस मामले में अपनी चिंता व्यक्त की है|
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार कर्मचारी संघ के पत्र में सीधे तोर पर “नोटों के सञ्चालन से जुड़े फैसलो” में वित्त मंत्रालय के हस्तक्षेप को निंदनीय बताया गया है|
“हमारी जानकारी के हिसाब से वित्त मंत्रालय ने अपने संयुक्त सचिव को भेज कर रिज़र्व बैंक के नकदी संबंधी कार्यो को अपने तोर से संचालित किया है” पत्र में बताया गया| “अगर यह सच है तो यह बहुत अफ़सोस की बात है और हम भारतीय रिजर्व बैंक की स्वायत्तता और वैधानिक और परिचालन अधिकार क्षेत्र में केंद्र सरकार द्वारा दखल दिए जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हैं|
कर्मचारी संघ ने इस बात पर ध्यान दिलवाया की, पिछले आठ दशको से, ” रिज़र्व बैंक देश की मुद्रा प्रणाली को बेहतरीन ढंग से चलाता आ रहा है और हर वैधानिक उत्तरदायित्वों को पूरा कर रहा है|” यहाँ तक की नवम्बर ८ के नोटबंदी के फ़ैसले के बाद भी हमनें निपूर्णता से काम किया|
“यह बहुत निराशाजनक बात है की ‘परिचालन कुप्रबंधन’ की वजह से रिज़र्व बैंक को चारों तरफ से आलोचनाओँ का सामना करना पढ़ रहा है|’, इस दौरान बैंक की स्वायत्तता और छवि को जो श्रति पहुँची है उसे अब ठीक नहीं किया जा सकता| पूर्व गवर्नरों तक ने बैंक की आलोचना करी है|” पत्र में बताय गया|
आखिर में गवर्नर उर्जित पटेल से निवेदन किया गया है की वह वित्त मंत्रालय के हस्तक्षेप से बैंक को बचाने के लिए तुरंत कदम उठाए, क्योकि इस प्रकरण से बैंक का पूरा कर्मचारी वर्ग आहत है|
पत्र में एआईअरबीईए महासचिव समीर घोष, एआईअरबीडब्लूऍफ़ महासचिव एस वी महाडिक, एआईअरबीऔए महासचिव सी एम् पॉलसिल और अरबीआईऔए महासचिव आर एन वत्स ने अपने हस्ताक्षर किये है।