विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी जफर महमूद ने समुद्री जहाज से हज यात्रा के प्रस्ताव पर उठाये गंभीर सवाल

नई दिल्ली। विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी जफर महमूद ने हज यात्रा के खर्च में कमी लाने तथा गरीब वर्ग के लोगों को भी इसका अवसर उपल्ब्ध कराने के लिए जहाज से इस यात्रा पर जाने के अल्पसंख्यक मंत्रालय के प्रस्ताव पर गंभीर सवाल उठाया है।

 
जेद्दा में अधिकारी रहे डॉ महमूद ने शुक्रवार यहां कहा कि सऊदी अरब में भारतीय राजदूत के शोध और अनुशंसाओं के कारण तीन दशक पहले जल मार्ग से इस यात्रा को रोक दिया गया था। उन्होंने विभिन्न तथ्यों का हवाला देते हुए कहा कि यह प्रयास हाजियों और सरकार के हित में नहीं है।

 

 

 

पहली और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कुरान की एक आयत (3.97) के अनुसार जिसको अल्लाह के घर तक पहुँचने का सामर्थ्य प्राप्त हो वह ही हज कर सकता है और यदि ऐसा नहीं है तो हज आवश्यक नहीं है। दूसरी बात यह है कि हज यात्रा के लिए हवाई विकल्प की तुलना में जलमार्ग सस्ता है लेकिन यहां जमीनी हकीकत कुछ अलग है।

 

 

 

 

समुद्र से हज यात्रा के लिए औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए प्रत्येक यात्री को कम से कम तीन दिन पहले मुंबई आना और वापसी पर तीन दिन यहां रुकना अनिवार्य रूप से रुकना पड़ता है। ट्रेन से यहां आकर इन छह दिनों के दौरान भोजन और सड़क यात्रा पर किए गया खर्च केवल हज यात्रियों द्वारा ही वहां किया जाना है।

 

 

 

 

समुद्री यात्रा पर मुम्बई से जेद्दा जाने के लिए दस दिन लगते हैं और वापसी पर भी दस दिन का समय लगता है। एक जहाज में 1500 से अधिक यात्रियों को नहीं ले जाया जा सकता है। इसलिए हेगा प्रस्तावित 4,500 यात्रियों के लिए जहाज द्वारा तीन यात्राओं की आवश्यकता होगी।

 

 

 

इसलिए हज के पहले और बाद में जहाज चार महीने तक यात्रा करता रहेगा। इस प्रकार समुद्री जहाज से जाने वाले प्रत्येक यात्री को सउदी अरब में हवाई यात्रियों की तुलना में कम से कम एक महीने अधिक समय रहना पड़ेगा। नतीजतन जहाज से जाने वाले यात्रियों को सऊदी अरब में भोजन और अन्य दैनिक आवश्यकताओं पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ेगा।