विभिन्नता ही है भारत की पहचान, इसे एक रंग में न रंगा जाए: प्रणब मुखर्जी

गुजरात: देश की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है और यह तेजी पिछले एक या दो सालों में नहीं आई है। इस तेजी की वजह देश में रह रहे 1.25 अरब लोग हैं जो 200 भाषाएँ बोलते हैं और 7 अलग अलग धर्मों से आते हैं। आज देश में जितना भी विकास हुआ है सब इन लोगों की वजह से ही मुमकिन हो पाया है।” यह शब्द कहे हैं देश के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जो गुजरात के गांधीनगर में बापू गुजरात नॉलेज विलेज में रखे एक कार्यक्रम में बतौर अतिथि आमंत्रित किये गए थे।

इस मौके पर बोलते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने देश की तरक्की का आधार देश वासियों की सांस्कृतिक और धार्मिक आज़ादी और देश का संविधान है। सबके साथ मिलजुल कर रहना हमारे बुजुर्गों, साधु-संतों, नेताओं की सीख का नतीजा है। आज से 14 साल बाद हम दुनिया के सबसे बड़े टैलेंट हब के रूप में जाने जाएंगे लेकिन विकास तभी हो सकता है अगर हमारे पास बेहतरीन स्किल हों।

राष्ट्रपति ने देश के संविधान को देश के सामाजिक और आर्थिक विकास की सीढ़ी बताया और कहा इस संविधान के बिना देश की तरक्की मुमकिन नहीं है।