विलफुल डिफॉल्टर : बैंकों के 92 हजार करोड़ रुपए बकाया, 27% एसबीआई के

नई दिल्ली.   सरकारी बैंकों का विलफुल डिफॉल्टर्स पर जितना बकाया है उसका 27% अकेले एसबीआई का है। 31 मार्च तक के आंकड़ों के मुताबिक एसबीआई को 1,762 विलफुल डिफॉल्टर्स से कुल 25,104 करोड़ रुपए वसूलने हैं। पंजाब नेशनल बैंक दूसरे नंबर पर है। उसके 1,120 विलफुल डिफॉल्टर्स पर 12,278 करोड़ रुपए बकाया हैं। जानबूझकर कर्ज अदा नहीं करने वालों पर इन दोनों बैंकों के 37,382 करोड़ रुपए बकाया हैं। यह सरकारी बैंकों के कुल विलफुल डिफॉल्ट के 40% के बराबर है। एसबीआई और इसके पांच सहयोगी बैंकों समेत 27 सरकारी बैंकों के विलफुल डिफाॅल्टर्सपर कुल 92,376 करोड़ रुपए बकाया हैं।
– वित्त मंत्रालय के आंकड़ा के मुताबिक 31 मार्च को खत्म फाइनेंशियल ईयर के दौरान बैंकों के बकाया में 20.4% का इजाफा हुआ है। 2015-16 तक यह आंकड़ा 76,685 करोड़ रुपए था। इसी ड्यूरेशन में विलफुल डिफॉल्टर्स की संख्या करीब 10% बढ़ी है। यह पिछले साल 31 मार्च तक 8,167 थी, इस साल 31 मार्च तक बढ़कर 8,915 तक पहुंच चुकी है।
बता दें कि विलफुल डिफॉल्ट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक ने नियम सख्त किए हैं। इसने साफ किया है कि डिफॉल्ट करने वाली कंपनियों के प्रमोटर जिम्मेदारी से बच नहीं पाएंगे।
 पहले बैंक, किसी कंपनी के नॉन- होलटाइम डायरेक्टर को उस समय तक विलफुल डिफॉल्टर घोषित नहीं कर सकते थे जब तक उनके पास इस बात के पुख्ता सबूत न हों कि उस डायरेक्टर को कंपनी की ओर से जानबूझकर कर्ज अदा नहीं किए जाने के बारे में जानकारी थी और उसने कंपनी पर कोई आपत्ति नहीं जताई। आरबीआई ने बैंकों को ऐसे डिफॉल्टरों के नाम और फोटो जारी करने की अनुमति भी दी है।
1,914 मामलों में FIR
जानबूझकर कर्ज अदा नहीं करने के इन 8,915 मामलों में बैंकों ने 1,914 मामलों में एफआईआर दर्ज कराई है। इन विलफुल डिफॉल्टरों पर 32,484 करोड़ रुपए का कर्ज बकाया है।
6.41 लाख करोड़ रु. हुआ ग्रॉस NPA
इस साल मार्च तक सरकारी बैंकों के ग्रॉस एनपीए (फंसे कर्ज) का आंकड़ा बढ़कर 6.41 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया। यह एक साल पहले 5.02 लाख करोड़ रुपए था।
81 हजार 683 करोड़ बैंकों ने डिस्काउंट अकाउंट में डाले
2016-17 में 27 सरकारी बैंकों ने कुल 81,683 करोड़ रुपए डिस्काउंट अकाउंट में डाले हैं। यह बीते पांच साल में सबसे ज्यादा रकम है। यह 2015-16 के मुकाबले 41% ज्यादा है।
कर्ज घटा, लेकिन डेट मार्केट से पैसे जुटा रही हैं कंपनियां
– बैंकों के कर्ज के उठाव की दर (क्रेडिट ग्रोथ) भले कई दशकों के निचले स्तर पर हो, लेकिन कंपनियां डेट मार्केट से पैसे जुटा रही हैं।
– एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016-17 में बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ 5.1% दर्ज हुई है। यह छह दशक में सबसे कम है।
– इससे पहले 1953 में यह 1.8% दर्ज हुई थी। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 4 अगस्त को खत्म हुए सप्ताह में बैंकों की इंक्रीमेंटल क्रेडिट ग्रोथ में 1.1 लाख करोड़ रुपए की गिरावट देखने को मिली है।