विविध भारती पर प्रोग्राम करता हूँ :कब्बन मिर्ज़ा

में यूं तो फ़िल्मी दुनिया से वाबस्ता हूँ लेकिन अगर आप कहेंगे कि बाली वुड से मेरी वाबस्तगी ( संबंध) है या नहीं,तो मेरा जवाब नही में होगा । कमाल साहिब (अमरोही ) के इंतेक़ाल के बाद दिल उचट सा हो गया । रज़ीया सुलतान के गाने आई ज़ंजीर की झंकार ख़ुदा ख़ैर करे तेरा हिजर मेरा नसीब है को बेहद कामयाबी मिली लेकिन फ़िल्म को मुतवक़्क़े कामयाबी नहीं मिली ।

आजकल रियाज़ (अभ्यास) भी करता हूँ और विविध भारती के प्रोग्राम संगीत सरीता में क्लासिकी फ़नकारों से बातचीत भी करता हूँ जो हर रोज़ सुबह 7.30 बजे नशर होता है । मेरे इलावा कई दीगर ( दूसरी) शख्सियतें भी इस प्रोग्राम से वाबस्ता हैं । ये अलफ़ाज़ थे गुलूकार कब्बन मिर्ज़ा के जिन्हों ने धर्मेन्द्र हेमालनी की फ़िल्म रज़ीया सुलतान के नग़मे गाये थे ।

मीडीया से मुलाक़ात के दौरान उन्होंने कहा कि फ़िल्मी मूसीक़ी (गायन) में अब पहले जैसी नग़मगी नहीं रहे ।