नई दिल्ली, सदफ खान। विश्व पुस्तक मेले में से विश्व के प्रकाशन काफी कम नज़र आये। जहा एक तरफ भारतीय प्रकाशनों की भरमार नज़र आई वही अंतराष्ट्रीय पुस्तक मेले के नाम पर ना के बराबर नज़र आये। मेले में वाणी, राजकमल और पेंगुइंस जैसे भारतीय प्रकाशन बड़े बड़े हॉल में अपने विभिन्न स्टाल लगा कर खड़े हुए थे। लेकिन अंतराष्ट्रीय स्तर के नाम पर सिर्फ एक ही हॉल तक प्रकाशन महदूद रह गए।
यहां तक के अंतराष्ट्रीय प्रकाशनों ने सिर्फ प्रदर्शनी के लिए स्टालों में किताबें लगा रखी हैं। पाकिस्तान लाहौर से मांशुरात प्रकाशन के स्टाल पर बैठे आयोजक ने बताया की पाकिस्तान से सिर्फ एक ही प्रकाशन मेले में आ पाया है।
हालाँकि मांशुरात भी पूरी तरह से पाकिस्तानी प्रकाशन नहीं है यह दिल्ली में ही काम करता है। इसी तरह से जापान, ईरान, चीन, स्पेन, नेपाल, यूएई यूनेस्को, फ्रांस, पोलैंड सब जगह से एक एक प्रकाशन नज़र आए और इन प्रकाशनों पर भी खरीदने के लिए कोई किताब नहीं मिली।
अंतराष्ट्रीय पुस्तक प्रकाशनों के स्टॉलों पर घूम रहे व्यक्ति विकास वर्मा ने बताया की इस बार विश्व मेले का स्तर गिरा हुआ नज़र आ रहा है। अंतराष्ट्रीय पुस्तक मेले में अंतराष्ट्रीय जैसा कुछ लग ही नहीं रहा है।
मेले के आयोजक नेशनल बुक ट्रस्ट के जॉइंट डायरेक्टर सतीश कुमार ने इस बारे में पूछने पर बताया की, बाकी अंतराष्ट्रीय प्रकाशन क्यों नहीं आए इस बात का कारण हमे नहीं पता। हमने ना ही किसी विशेष को बुलाया है और ना ही किसी को मना किया है। मेले में प्रकाशनों का आना या ना आना उन्ही पर निर्भर करता है।