सुप्रीम कोर्ट ने आज मर्कज़-ओ-रियास्तों को हिदायत की कि वे वि आई पी गाड़ियों से सायरन हटा दिए जाएं क्योंकि ये क़ानून की ख़िलाफ़वरज़ी है।
सुप्रीम कोर्ट ने इशारा भी दिया कि वो वि आई पी गाड़ियों पर लाल बत्ती के बेजा इस्तिमाल को रोकने के लिए भी हिदायत जारी करसकता है। अदालत-ए-उज़्मा ने ये तास्सुर भी दिया कि वि आई पी गाड़ियों पर लाल बत्तियों के इस्तिमाल से बर्तानवी राज की अक्कासी होती है। जस्टिस जी एस सिंघवी और जस्टिस वि गोपाला गौड़ा ने सवाल किया कि वुज़रा, आला सरकारी आफ़िसरान और सियासतदानों को ये सहूलत क्यों फ़राहम की जाती जबकि उस वक़्त जब पी चिदम़्बरम वज़ीर-ए-दाख़िला थे।
उन्होंने इस सहूलत से इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा कि ये भी अजीब बात है कि पी चिदम़्बरम जो वज़ीर-ए-दाख़िला थे ये कहा था कि उन्हें अपनी गाड़ी के लिए उसको एड और सायरन की ज़रूरत नहीं है। हालाँकि ये वज़ीर-ए-दाख़िला के लिए सरकारी तौर पर ज़रूरी था उसके बावजूद उन्होंने कहा था कि ऐसी किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं है।
हुकूमतों ने इस बारे में इक़दामात करने के लिए मज़ीद चार हफ़्तों की मुहलत तलब की थी लेकिन अदालत ने उस दरख़ास्त को क़बूल करने से इनकार करते हुए कहा कि आप अदालती कार्रवाई का मज़ाक़ उड़ा रहे हैं। पहले ही आप को काफ़ी वक़्त दिया जा चुका है। आप ने सैंटर्ल मोटर व्हीकल ऐक्ट की दफ़ा 108 की ख़िलाफ़वरज़ी को रोकने के लिए आलामिया क्यों जारी नहीं किया।