वीरप्पन के चार साथियों को आज होगी फांसी?

नई दिल्ली, 17 फरवरी: सुप्रीम कोर्ट ने कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन के चार साथियों की उस दरखास्त पर सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया, जिसमें इन सभी ने अपनी फांसी की सजा के अमल पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी।

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि इन सभी को एतवार के दिन फांसी दिए जाने के ताल्लुक कोई सुबूत नहीं है। हालांकि ज़राए का कहना है कि इन सभी को आज (एतवार) को फांसी दिया जाना तय किया गया है।

इन चारों मुल्ज़िमीन ने अपनी दरखास्त चीफ जस्टिस अल्तमस कबीर के सामने दायर की थी। सदर जम्हूरिया पहले ही इनकी रहम की दरखास्त को खारिज कर चुके हैं। इन चारों को 20 साल पहले कर्नाटक में बारूदी सुरंग में धमाके कर 22 पुलिस अहलकारों की जान लेने के इल्ज़ाम में मौत की सजा मिली हुई है।

वीरप्पन के बड़े भाई गणप्रकाश, सिमोन, मीसेकर मदैया और बिलावांद्रा को 2004 में मौत की सजा सुनाई गई थी। 1993 में लैंडमाइन धमाके में 22 पुलिस अहलकारो की मौत हो गई थी। सदर जम्हूरिया प्रणब मुखर्जी ने 13 फरवरी को चारों की रहम की दरखास्त को खारिज कर दिया था, जिससे इनकी फांसी की सजा का रास्ता साफ हो गया है।

इन चारों ने अपनी दरखास्त में सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि उनकी फांसी की सजा में बहुत देर की गई है। अगर अब उनको फांसी दी जाती है तो यह एक ही मामले में उन्हें दोहरी सजा दिया जाना होगा। वीरप्पन के ये चारों साथी इन दिनों कर्नाटक की बेलगाम जेल में बंद हैं।

मैसूर की टाडा कोर्ट ने 2001 में इन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने सजा बढ़ाते हुए फांसी में बदल दिया था। गिरोह का मुखिया वीरप्पन अक्तूबर 2004 में तमिलनाडु पुलिस के साथ मुठभेड़ में मार गिराया गया था।

मालूम हो कि फांसी की सजा पाए दविंदर पाल सिंह भुल्लर ने भी इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उसने दिल्ली में रिमोट बम से कार में धमाका कर नौ सेक्यूरिटी अहलकारों की जान ले ली थी। भुल्लर की फांसी पर भी सदर जम्हूरिया की ओर से मंजूरी दी जा चुकी है।