वीवाह के लीए लड्की ओर लड्के को केसे चूने

इस्लाम ने वीवाह‌ को मुक़द्दस क़रार दिया है। वीवाह‌ के ज़रीया जब मर्द और औरत अल्लाह ताला की हिक्मत-ओ-मस्लिहत के मुताबिक़ मनूष्य जाती को बाकी रख्ने का ज़रीया और एक सालेह मुआशरा (पवीत्र नागरीक्ता) को वूजूद में लाने का बाइस बनते हैं तो गोया वो अल्लाह ताला के मंशा की तकमील करते हैं, इसी लिए निकाह को मुक़द्दस और नेक अमल क़रार दिया गया है।

आज मुस्लमानों ने निकाह जैसे मुक़द्दस और आसान अमल को अपनी नाआक़बत अंदेशी के ज़रीया मुश्किल तरीन बना दिया है। दीनदारी, अख़लाक़-ओ-सीरत की जगह ज़ाहिरी औसाफ़ जैसे ख़ूबसूरती और माल-ओ-दौलत ही शादी के लिए वाहिद मेयार रह गया है। हालाँकि हुज़ूर अकरम (स.व.) ने लड़की और लड़के के इंतिख़ाब में दीनदारी को फ़ौक़ियत देने की बार बार ताकीद फ़रमाई है। निकाह के सिलसिले मैं बाज़ बुज़ुर्गों के नीचे लीखीत अक़्वाल भी काबिल-ए-ग़ौर हैं।
हज़रत उमऱा फ़ारूक़ (रज़ी.) का क़ौल है कि बंदा को ईमान के बाद कोई चीज़ नेक औरत से बेहतर नहीं मिली।
* नेक औरत ना सिर्फ पवीत्र होती हे, बल्कि घरेलू काम‌ और औलाद की तर्बीयत भी बेहतर अंदाज़ से कर सकती है।
* ग़रीब लड़कीयों से शादी करना पून्य का काम‌ है, कम आमदनी में भी वो राज़ी और ख़ुश रहती है और किफ़ायत से घर के उमूर अंजाम दे सकती है।
* बदअतवार औरत अगर ख़ूबसूरत भी हो तो बड़ी मुसीबत है, क्योंकि ना उस की मुफ़ारिक़त गवारा होगी और ना उस की बद हरकतों और बदसुलूकी पर सब्र आ एगा।
* नेक और शरीफ़ लड़के लड़कीयों की शादी में ग़ुर्बत, रुकावट बनने ना पाए, क्योंकि सूरा नूर में इरशाद है अगर कोई तंगदस्त भी हो तो अल्लाह ताला अपने फ़ज़ल से ग़नी बना देगा।
* जो शख़्स माल-ओ-जमाल के लिए निकाह करता है तो वो माल-ओ-जमाल से महरूम कर दिया जाता है और जो कोई दीनदारी की जिहत से निकाह करता है तो अल्लाह ताला उस को माल-ओ-जमाल दोनों इनायत फ़रमाता है।
* जहेज़ के लालची ग़ैरत-ओ-हमीयत से आरी होते हैं, जिन की वजह से लड़की की ज़िंदगी अज़ाब और लड़की के वालदैन दाइमी परेशानी में मुबतला होते हैं।
हज़रत सुफ़ियान सोरी रहमत उल्लाह अलैहि फ़रमाते हैं कि जब कोई आदमी निकाह के लिए ये पूछे कि औरत के पास क्या क्या चीज़ें हैं (मौजूदा दौर में जहेज़ की तहक़ीक़ात) तो जान लो कि वो चोर है।
एक शख़्स हज़रत हसन बस्री रहमत उल्लाह अलैहि की ख़िदमत में अर्ज़ किया कि चंद लोगों ने मेरी लड़की के लिए पयाम निसबत दिया है, में इस का निकाह किस से करूं?। आप ने फ़रमाया जो शख़्स इन में से अल्लाह ताला का ख़ौफ़ रखता हो (यानी दीनदार हो) इस से शादी करना, इस लिए कि अगर वो तेरी लड़की को चाहेगा तो इस की दिलदारी और ख़ातिरदारी करेगा और अगर नापसंद करेगा तो इस पर ज़ुल्म ना करेगा।