वुमेंस कमीशन की सदर बरखा सिंह से परवीन अर्शी की गूफ्तगू

दिल्ली: आप पार्टी के सोमनाथ भारती और कुमार विश्वास पर कार्रवाई को लेकर दिल्ली वुमेंस कमीशन की सदर बरखा सिंह की जांबाजी के चर्चे इन दिनों पूरे मुल्क के मीडिया की सुर्ख़ियों में बने हुए हैं.

बरखा सिंह ने परवीन अर्शी से मुलाक़ात में यह कुबूल किया कि वे एक कांग्रेसी हैं लेकिन जब उनके पास कोई खातून फ़रियाद लेकर आती हैं तो उनकी कोशिश होती है कि मुतास्सिरा खातून को इंसाफ मिले.उन्होंने अपने इक्तेदार के दौरान 2007 से अभी तक सैंकड़ों परेशान और मुतास्सिरा ख़्वातीन को इंसाफ भी दिलवायी है. आप पार्टी के लीडर दिल्ली सरकार के वज़ीर सोमनाथ भारती की शरीक ए हयात लिपिका मित्रा के मामले में उन पर बहुत दबाव है, सोमनाथ भारती उन्हें मुसलसल धमका रहे हैं.

इस बारे में बरखा सिंह का कहना है मैं तमाम दबाओं को नज़रअंदाज़ करते हुए अपना काम,अपने हुकूक के मुताबिक फर्ज़ समझ कर अंजाम दे रही हूँ.

वे आवामी खिदमत और समाजसेवा के सूबे में कैसे आयीं तो इस बारे में उन्होंने बताया कि शौहर एमएलए रहे हैं और कांग्रेस से जुड़े रहे हैं,उन्ही के साथ रहते हुए मैंने अपना समाज सेवा का अलग ट्रैक बनाया और फिर काफी लोग मेरे से जुड़ते रहे.

मैंने शुरू में स्लम एरिया में जाकर काफी काम किये. तालीम के लिये ग़रीब आदमी सिर्फ ख्वाब देखता था .. हमने अपने साथियों के साथ मिलकर सिर्फ सौ रूपये की फीस पर दो हज़ार बच्चों को तालीम दी.

मैंने वुमेंस कमीशन में रहते हुए सात-आठ साल में काफी काबिल ए ज़िक्र काम किये,जिनकी चर्चा से मीडिआ अछूता नहीं है. उन्होंने कहा कि वे समाज सेविका के साथ साथ मुसन्निफा भी हैं और भला एक मुसन्निफ से ज़्यादा समाज के दर्द को कौन समझ सकता है.

जब उनसे ये सवाल किया कि आप कांग्रेसी हैं इसीलिए आप लीडरों के मामलों को टूल दे रही हैं…उनका सपाट सा जवाब था- हाँ, बेशक में कांग्रेसी हूँ लेकिन ऐसी कोई मिसाल नहीं दी जा सकती की मैंने कांग्रेस को ओहदा पद पर रहते हुए कोई फायदा पहुंचाया हो.ऐसे कई मामले हैं जब कांग्रेस की हुकूमत के दौर में भी ख़्वातीन को इंसाफ दिलाया है.

बरखा सिंह ने इस इल्ज़ाम या सवाल का जवाब बहुत आसानी से दिया कि वे सिर्फ हाई प्रोफाइल मामलों पर ही ज़्यादा गौर करती हैं..? नहीं ऐसा नहीं है बल्कि आम मामलों को मीडया नज़रअंदाज़ कर देता है और हाई प्रोफाइल मामले ज़्यादा दिनों तक सुर्ख़ियों में रहते हैं.

कमीशन में रोज़ाना जो शिकायतें आती हैं उनमें ज़्यादातर आम लोग होते हैं और वुमेंस कमीशन उन्हें इंसाफ भी ज़रूर दिलाता है. आवाम इंसाफ की लिए आती बस और वह उन्हें मिलता हैं |..और कांग्रेस फिर से आएगी सत्ता में ,,,

अक्सर हाई प्रोफाइल केस मीडिया में आते हैं क्यों क्या कॉमन केसेस नही हैं ?जी बिलकुल सही बात हैं ..अब सड़क पैर रोज़ के केसेस होते हैं …सलमान खान का केस ही क्यों मीडिया में आया क्यों की वह सेलेब्रिटी हैं ,,इसलिए ….लिपिक दोस्त आप तक कैसे पहुंची ?दरअसल लिपिका के पहले कुमार विश्वास का केस हम तक पहुंच चूका था और जब हमने कुमार विश्वास को समन भेजा तो लिपिक को लगा की शायद हम उसकी मदद कर सकते हैं ….तो… तो वह हमारे पास आई|

|क्या इस केस मे सियासतबाज़ी हो रही हैं ? जी नहीं .हमे नहीं लगता हैं |कुमार विश्वास केस का क्या हुआ ?अभी तारीख दी हैं 23 जून की …देखते हैं आते हैं या नहीं …वो शौहर बीवी तो बराबर आते हैं ,,,अब लिपिक क्या चाहती हैं ?लिपिक तलाक चाहती हैं ..और अपने बच्चो का खर्च बस …और अपनी ज़िन्दगी अपनेतरीके से गुज़ारना चाहती हैं …2010 में शादी हुई फिर डोमेस्टिक वायलेंस का केस इतना देर से क्यों दर्ज कराया नही 2011 मे भी कराया था .CIW सेल ..मे कंप्लेंट की थी पर सोमनाथ भारती ने दबाव डलवा कर आवाज़ को रोक दिया ..हनीमून पर भी पिटाई की ..फ्रॉड प्रोफाइल दिखा कर शादी की …

क्या सोमनाथ भारती ने अपना कोई फरीक रखा? जी नही अभी तक नहीं ..वो कहते हैं की बीवी से बहुत प्यार करते हैं तो ,,सोमनाथ भारती बीवी को समझने दिल्ली मे होते ,,चेन्नई मे नहीं ,,अपना खानदानबचाते टूटने से ,…उन्होने तो अपनी माँ का इस्तेमाल किया हैं …जब की लिपिक को अपनी सास से कोई शिकायत नहीं हैं …और उल्टा सोमनाथ भारती हमे धमका रहे हैं ..हमने.कंप्लेंट दर्ज करा दी हैं|

क्या दिल्ली सरकार से कोई नाराज़गी हैं ?नही हमे किसीसे कोई शिकायत नही हैं … आप के पास रोज़ाना कितने केसेस आते हैं ,, 80..के करीब ..ज़्यादा तर केसेस डोमेस्टिक वायलेंस ,, दहेज़,, के होते है .. आंखरी सवाल ?खली वक्त मे क्या करती हैं ,,? वक्त ही नहीं मिलता हैं ,,पर अपने शौक को जारी रखते हुए कुछ लिखते पढ़ते हैं ,,बस और 19 जुलाई को हमारा काम करने का मुद्दत भी खत्म हो रहा हैं …2007 से थे इस ओहदा पर …जल्दी से जल्दी सरे काम निपटाने हैं ..