वीमेंस साईंस कांग्रेस का इफ़्तेताह

मैसूर: मर्कज़ी वज़ीर फ़रोग़ इन्सानी वसाइल स्मृति ईरानी ने कहा कि ख़ातून साईंसदानों के साथ सनफ़ी इम्तिय‌याज़ आज भी बरक़रार है और उसे दूर करना सबसे अहम चैलेंज है। उन्होंने इंडियन साईंस कांग्रेस से ख़िताब करते हुए कहा कि साईंस में इम्तियाज़ी सुलूक की तालीम नहीं दी जाती।

उन्होंने कहा कि साईंस ख़्वातीन के रोज़ मर्राह की ज़रूरियात में शामिल है और इसकी हौसला-अफ़ज़ाई की जानी चाहिए। एक मशहूर माहिर तिब्बयात ने कहा था कि साईंस प्लूटोनियम की ख़सुसीयात‌ को दोबाला कर सकती हैं लेकिन मर्द के दिलों को नहीं। वो समझती हैं कि साईंसदाँ की कही हुई ये बात आज पूरी तरह सादिक़ आती है।

अगर साईंस मर्द के दिलों की ख़सुसीयात‌ को बेहतर नहीं बना सकती तो हमें अलाहदा वीमेंस साईंस कांग्रेस की ज़रूरत ही ना होती। स्मृति ईरानी ने आज 5 वीं वीमेंस साईंस कांग्रेस का इफ़्तेताह अंजाम दिया।

उन्होंने कहा कि ख़ातून साईंसदानों के ख़िलाफ़ मीलान ड्रामाई तौर पर पाया जाता है और ऐसे साइंटिफिक इम्तियाज़ किया जाये तो ग़लत ना होगा। उन्होंने कहा कि आज मुल्क भर में स्कूल जाने वाला कोई बच्चा किसी एक हिन्दुस्तानी ख़ातून साईंसदाँ का नाम नहीं बता सकता। उन्होंने कहा कि यही इम्तियाज़ है जिससे स्कूल की सतह पर नमनटे की ज़रूरत है।