वेदप्रताप को सहाफ़ती बिरादरी की ताईद

मुल्क की सहाफ़ती बिरादरी कल‌ वेदप्रताप के दिफ़ा में खुल कर सामने आगई है। इनका इस्तिदलाल है कि एक सहाफ़ी होने के नाते वेदप्रताप किसी से भी मुलाक़ात करसकते हैं चाहे वो शख़्सियत कितनी ही मुतनाज़ा क्यों ना हो।

दुनिया के कई ममालिक के सहाफियों ने अमेरिका अलक़ायदा सरबराह मरहूम उसामा बिन लादन का इंटरव्यू भी लिया था। इसका मतलब ये नहीं है कि इंटरव्यू लेने वाला इंटरव्यू देने वाले के ख़्यालात और अफ़्क़ार से पूरी तरह मुत्तफ़िक़ है।

सहाफ़ती बिरादरी का कहना है कि ख़ुद अख़बारात और टी वी चैनल्स‌ किसी भी मख़सूस शख़्सियत का इंटरव्यू शाय करते वक़्त आख़िर में ये जुमला ज़रूर तहरीर करते हैं कि अख़बार का इंटरव्यू देने वाले शख़्स की ख्या से मुत्तफ़िक़ होना ज़रूरी नहीं या फिर ये कहा जाता है कि मज़कूरा बाला इंटरव्यू में जिस शख़्स से बातचीत की गई है वो उन के शख़्सी ख़्यालात हैं।

अख़बार या चैनल का उनके ख़्यालात से मुत्तफ़िक़ होना ज़रूरी नहीं। आख़िर क्या बात है कि वेदप्रताप की हाफ़िज़ सईद से मुलाक़ात को ग़ैर ज़रूरी सियासी रंग दिया जा रहा है। इस तनाज़ा को अब ख़त्म होना चाहिए। अगर कोई हिंदुस्तानी सहाफ़ी वज़ीर-ए-आज़म पाकिस्तान नवाज़ शरीफ़ से इंटरव्यू करता है तो इस का मतलब ये नहीं कि वो पाकिस्तान नवाज़ है।