कोलकत्ता के एक प्रोग्राम में मेरी मुलाक़ात “वेद प्रताप वैदिक” से हुई, प्रोग्राम के बाद मैने उनसे दो मिनट का वक़्त मांग कर कुछ बात करना चाही तो उन्होंने मुझे अपने बेशक़ीमती 15 मिनट दिए. इस दौरान मैने उनसे कुछ सवाल किये जिसके जवाब उन्होंने बड़ी ही बेबाकी से दिए.
सवाल : मुंबई हमले के गुनाहगार, हाफ़िज़ सईद से मिलने का मतलब क्या है?
वैद : मै एक सहाफी की हैसियत से मिलने गया था, मैने पुछा कि आपने ये सब क्यूँ किया| इसका आख़िर क्या मक़सद है ? मैने हाफ़िज़ सईद से मिलने पर बहुत ज़्यादा सवाल नहीं किये, इंटरव्यू में देख ही चुके हैं हम लोग… हाँ मौजूदा हालात जो हमारे मुल्क में हैं उस पर बहेस हुई.
सवाल : हमारे मुआशरे को क्या हो गया है?आख़िर लोगों में दूरियां क्यूँ बढ़ गयी हैं ?
वैद: आज मुआशरे में बातचीत की कमी हो गई है, मै हमेशा बातचीत का हामी रहा हूँ, बातचीत् हर मसले का हल है, बातचीत जब होगें तो बड़ी से बड़ी मुश्किल को आसानी से हल किया जा सकता है। यही वजह है कि मैने हाफिज सईद से मिलकर उसे इंसानियत का पैगाम देने की कोशिश की| मै आज कोलकाता में एक ऐसे प्रोग्राम में आया हूँ जो मुस्लिम समाज की तरफ से कराया जा रहा है, जो मेरे लिए फ़ख़र की बात है। मै दुनिया के सभी मुसलिम मुल्को में जा चुका हूँ, मगर हिंदुस्तान के मुसलमानों पर फ़ख़र है मुझे , ये मुआशरा बातचीत को बढावा दे रहा है, जो इस मुल्क के लिए बेहतर कदम है। इस्लाम अमन और शांति का पैगाम है, मै हज़रत मुहम्मद साहब को अपना पैगंबर नहीं मानता हूं, मगर दुनिया में उनसे अज़ीम इन्सान कोई और बताइये। इसलाम और क़ुरआन मे जो अच्छाइयाँ है, बहुत बड़े पैमाने पर उन्हें हमारे मुआशरे में पहुंचाने की जरूरत है।
सवाल: कुछ लोग मुसलमानों के देश भक्त होने पर सवाल उठाते हैं, इस पर क्या कहेंगे आप ?
वैद: किसी को भी हक़ नहीं है कि उनके देश भक्त होने पर सवाल उठाए, बल्कि यह बात वही कह सकता है जिसमें मुल्क से मुहब्बत कम हो।
सवाल : अदम बर्दाश पर आपके खयाल ?
वैद: अखलाक के साथ हुए वाक़िया बेहद दर्दनाक था, इसका सख्त मुखालिफत होना चाहिए और मुसलमानों को डरने की जरूरत बिलकुल भी नहीं है, हमारा मजबूत समाज उनके साथ खड़ा है, मुसलमानों से सौ गुणा ज्यादा हमारे लोगों ने इसकि मुखालिफत किया है, कितने लोगों ने अवार्ड लौटा कर इस हादसे का मुखालिफत किया है। मुस्लिम मुआशरे को भी इसकि मुखालिफत करनी चाहिए।