वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह के दौरा अमरीका से पहले न्यूक्लीयर वाजिबात क़ानून पर तनाज़ा पैदा होगया है। ख़बरों से पता चलता है कि एक मुआहिदे पर दस्तख़त किए जाऐंगे और मुआहिदा क़ानून से हम आहंग नहीं होगा। काबीनी कमेटी बराए सयानत न्यूक्लीयर पावर कारपोरेशन आफ़ इंडिया लिमिटेड (एम पी सी आई एल ) और अमरीका की वेस्टिंग हाउज़ इलेक्ट्रिक कंपनी के बीच मुआहिदे पर दस्तख़त करने पर ग़ौर करेंगी। अमरीका सियोल वाजिबात बराए न्यूक्लीयर आफ़ात क़ानून को हिन्दुस्तान को न्यूक्लीयर रीऐक्ट्रस की फ़रोख़त में एक रुकावट समझती है।
क़ानून के तहत एम पी सी आई एल सरबराह से जुज़वी मुआवज़ा तलब कर सकता है। अगर उनके रीऐक्ट्रस किसी न्यूक्लीयर हादिसे में मुलविव्स साबित हो लेकिन महिकमा ऐटमी तवानाई के पास इसका एक मुतबादिल मौजूद है। अटार्नी जनरल जी ई वाहनवती ने समझा जाता है कि अपने बयान में कहा है कि ये न्यूक्लीयर प्लांट ऑप्रेटर की मर्ज़ी पर मुनहसिर है कि वो क़ानून की दफ़ा 17जो सरबराह के वाजिबात से मुताल्लिक़ है जो न्यूक्लीयर हादिसे की सूरत में तलब किए जा सकते हैं मंसूख़ करदे। लेकिन ये राय हकूमत-ए-हिन्द को मुआहिदे पर दस्तख़त करने में मददगार साबित होगा।
हकूमत-ए-हिन्द ने न्यूक्लीयर वाजिबात क़ानून पर पैदा होने वाले तनाज़े की एहमीयत कम करने की कोशिश करते हुए कहा कि इस मसले पर कोई नरमी इख़तियार नहीं की जाएगी और हिन्दुस्तान के मुफ़ादात का बहरहाल तहफ़्फ़ुज़ किया जाएगा। वज़ीर-ए-ख़ारजा सलमान ख़ुरशीद ने कहा कि हिन्दुस्तान को बर्क़ी तवानाई की ज़रूरत है और वो ये बर्क़ी तवानाई अपनी शराइत और क़वाइद पर हासिल करेगा।
उन्होंने कहा कि दोनों फ़रीक़ैन के मुख़्तलिफ़ नक़ात नज़र मुम्किन है। बातचीत के नतीज़े में ऐसी सूरत-ए-हाल पैदा होनी चाहीए जो दोनों फ़रीक़ैन के लिए फ़ाइदाबख्श हो। वज़ीर-ए-आज़म के दफ़्तर के वज़ीर-ए-ममलकत वी नारायण स्वामी ने कहा कि हुकूमत पार्लियामेंट में मंज़ूर शूदा क़ानून की पाबंद है और ऐसा कोई मुआहिदा नहीं करेगी जिस से पार्लियामेंट में मनज़ोरा क़ानून की ख़िलाफ़वरज़ी होती हो।
उन्होंने कहा कि जहां तक न्यूकलीयर वाजिबात का ताल्लुक़ है हमारे मुल्क में क़ानून के तहत जो कुछ मुक़र्रर किया गया इसी के मुताबिक़ मुतालिबा किया जाएगा। पार्लियामेंट में मनज़ोरा क़ानून बहरहाल ग़ालिब रहेगा। अटार्नी जनरल की राय मौजूद है लेकिन उनकी राय पर सिर्फ़ इस वजह से अमल आवरी नहीं की जा सकती कि हर मामला में हिन्दुस्तानी क़ानूनी ही ग़ालिब रहना चाहीए।
वज़ीर-ए-आज़म डाक्टर मनमोहन सिंह ओहदेदारों के साथ तबादला-ए-ख़्याल करेंगे और अमरीकी ओहदेदारों से ख़ाहिश करेंगे कि जो भी मुआहिदा हो वो न्यूक्लीयर वाजिबात क़ानून के चौखटे के अंदर होना चाहीए। न्यूक्लीयर मुआहिदा के सिलसिले में यू पी ए की पहली मयाद के दौरान भी इख़तिलाफ़ात पैदा हुए थे।