वज़ीर-ए-आज़म पाकिस्तान का अतीया कुबूल करने से ख़ादमीन अजमेर शरीफ़ का इनकार

अजमेर 11 मार्च: दरगाह हज़रत ख़्वाजा मुईन उद्दीन चिशती के ख़ादमीन ने वज़ीर-ए-आज़म पाकिस्तान राजा परवेज़ अशर्फ़ की तरफ से पेश करदा अतीया को कुबूल करने से इनकार कर दिया ।

वज़ीर-ए-आज़म पाकिस्तान ने कल 800 साल क़दीम दरगाह अजमेर शरीफ़ पर हाज़िरी दी थी । वो चाहते थे कि दरगाह के लिए नज़राना पेश करें लेकिन हम ने पाकिस्तानी हाई कमीशन से कहा कि कोई भी नज़राना कुबूल नहीं किया जाएगा ।

ख़ादिम वाहिद मियां चिशती ने बताया कि हम ने इस नज़राना को कुबूल नहीं किया और वाज़िह तौर पर कहदया कि ये हम कुबूल नहीं करेंगे ।

सेक्रेटरी अंजुमन ख़ादमीन ने अजमेर शरीफ़ से फ़ोन पर बताया कि नज़राना लेने से इनकार करने का दरगाह के दीवान जी जेनउला अबदीन अली ख़ान की तरफ से राजा परवेज़ अशर्फ़ के दौरा के बाईकॉट से कोई ताल्लुक़ नहीं है । वाहिद मियां चिशती ने कहा कि दीवान जी जेनउला अबदीन के मासिवा-ए-दरगाह पर तमाम मज़हबी सरबराहान और ख़ादमीन मौजूद थे जिस वक़्त पाकिस्तानी लीडर यहां पहूंचे ।

ख़ादमीन ने दरगाह शरीफ़ मे दाख़िल होने से पहले वज़ीर-ए-आज़म पाकिस्तान की दस्तार बंदी की । अशर्फ़ ने मज़ार मुबारक पर मख़मली चादर नज़र की और गुलहाए अक़ीदत पेश किया ।

तक़रीबन 20 मिनट तक दरगाह की ज़यारत करते रहे । उन के सात अहलिया नुसरत और 20 रुकनी टीम भी थी । अशर्फ़ ने बताया कि उन्हों ने दरगाह पर दुआ की और आलमी अमन-ओ-तरक़्क़ी ख़ुशहाली के लिए ख़ासकर पाकिस्तान के हक़ मे दुआ की है ।

वाहिद मियां चिशती ने कहा कि पिछ्ले साल सदर-ए-पाकिस्तान आसिफ़ ज़रदारी के एक मिलियन डालर अतीया देने की पेशकश का तनाज़ा पैदा हुआ था । ये रक़म वसूल होने के लिए कई माह दरगाह हुए थे । इस लिए ख़ादमीन नहीं चाहते थे कि दरगाह के उमूर में रुकमी मुआमलत के ज़रीये नापसंदीदा सूरत-ए-हाल पैदा होजाए । हमारा काम हज़रत ख़्वाजा ग़रीब अलनवाज़ की तालीमात को आम करना है ।