वज़ीर ने अखबार पर लगाया ब्लैकमेलिंग का इल्ज़ाम

रियासत के तूअनाई वज़ीर राजेंद्र सिंह ने कहा है कि उषा मार्टिन कंपनी का बकाया 48 करोड़ रुपए बिजली बिल (पावर फैक्टर सरचार्ज) गैर कानूनी ढंग से माफ कराने के लिए उनपर गैर एखलाकी दवाब बनाया जा रहा है। कंपनी के अफसर अपने अखबार के जरिये से उन्हें ब्लैकमेल कर रहे हैं। पर वे ऐसा नहीं करेंगे। राजेंद्र सिंह ने जुमेरात को अपने रिहाइशगाह पर मुनक्कीद प्रेस कोन्फ्रेंस में यह इल्ज़ाम लगाया। कहा उषा मार्टिन के अफसर समीर लोहिया का काम नहीं करने की वजह ही उन्हें और उनके बेटे को निशाना बनाया जा रहा है।

साल 2000 में 40 करोड़ माफ हुए

राजेंद्र सिंह ने इल्ज़ाम लगाया कि जब लालचंद महतो रियासत के तूअनाई वज़ीर थे, उस कंपनी ने 40 करोड़ रुपए माफ कराए थे। मौजूदा बिजली बोर्ड के चेयरमैन राजीव रंजन ने इसकी सिफारिश की। पैसे तो माफ हो गए तब बिहार सरकार ने इसपर सवाल उठाया कि माफ किया गया पैसा मेरा है तो झारखंड सरकार ने इसे कैसे माफ किया। बिहार सरकार इस मामले को लेकर अदालत गई है। अभी केस चल रहा है। 40 करोड़ की माफी के मामले में भी उन्होंने जायजा करने की हिदायत दिए हैं। जब वे मुश्तरका बिहार में साल 2000 में तूअनाई वज़ीर थे, उस वक़्त भी पैसा माफ करने का दबाव बनाया गया था।

“वज़ीर राजेंद्र सिंह की तरफ से कंपनी पर लगाए गए बेबुनियाद इल्ज़ाम से हैरान हूं। वज़ीर बनने के बाद न तो मैं राजेंद्र सिंह से ना ही इनके बेटे या रिश्तेदार से कभी मिला हूं, न ही फोन किया है। कंपनी अखबार के एडोटोरियल महकमा के कामों में मुदाखिलत नहीं करती है। ”

समीर लोहिया, नुमाइंदा, उषा मार्टिन

राजेंद्र सिंह ने कहा कि उषा मार्टिन ने मधु कोड़ा सरकार के वक़्त कैप्टिव माइंस ली थी। अब कंपनी इसकी ट्रेडिंग कर रही है। माइंस एक्ट में इसकी छूट नहीं है। भारत सरकार और रियासती हुकूमत इसकी जांच कर रही है। कंपनी को पलामू में जो माइंस मिली हैं उसके लिए सीसीएल ने रजहरा में साइडिंग दी है। यहां रैक से कोयला ले जाया जा रहा है। हालांकि डंफर से आधा कोयला लोकल सेल हो रहा है, यह चोरी है।