वज़ीर ने बुलाई इश्क़ पर कॉन्फ्रेंस

डॉ. भीम सिंह। रियासत के सनअति वज़ीर हैं। 53 साल के है। इतवार को अखबार में एक खबर पढ़कर दुख हुए। फौरन अखबारनवीसों को बुलावा भेज दिया। दोपहर बाद तीन बजे प्रेस कोन्फ्रेंस शुरू हुई तो पता चला कि वज़ीर किसी सनअत -धंधे या फैक्ट्री की नहीं, मोहब्बत करने वालों की रुसवाई से दुखी हैं। हाजीपुर में एक वालिद ने अपनी बेटी को सरेराह पीटा, क्योंकि उसने अपने आशिक के साथ शादी रचा ली। नफरत… मोहब्ब्त करने वालों से, आखिर क्यों?

कहने लगे- समाज को नजरिया बदलना चाहिए। आशिक और माशूका को इज्जत देनी चाहिए। पसंद के किसी सख्श से प्यार करने का हक़ सबको होना चाहिए। न उम्र की सीमा हो, न प्यार का हो बंधन। यह भी कहा- इस मुल्क की ज़्यादातर लोगों का यकीन कृष्ण में है, जिनकी 16 हजार बीवियाँ थीं। यहां मेघदूतम् की रचना होती है। इस मुल्क ने दुनिया को कामशास्त्र दिया। फिर भी हम प्यार के खिलाफ खड़े हैं, क्यों?

मंत्री जी अपने सरकारी रिहाइशगाह पर थे। ईको पार्क के ठीक बगल में ही तो है उनका घर। और उसके ठीक बगल में ही उनका दफ्तर है। ईको पार्क… यंग कपल के मिलने की शहर में सबसे ज्यादा साफ-सुथरी जगह।वज़ीर के घर-दफ्तर के दरमियान वाली जगह। बोलने लगे- दबाव देकर शादी करवाना और फिर सरेआम लड़की को पीटा जाना कबीले इतराज है। प्रेमी-प्रेमिकाओं को इश्तेहाल करना किसी हाल में कबूल नहीं। समझ नहीं आता कि दुनिया प्यार की मुखालिफत क्यों हो जाती है?

डकैती-कत्ल करे तो भी मुखालिफत नहीं। लेकिन, प्यार करे तो जमाना आंख दिखाने लगता है। वज़ीर ने और भी कई हवाले दिए। मसलन सुप्रीमकोर्ट ने भी कहा है कि दो लोगों के बीच रिश्ते हो लेकिन इससे समाज पर असर न हो और वह एकांत में किया गया हो तो गैर कानूनी नहीं है। इतना कुछ हमारी कल्चर, ग्रंथों में है। फिर परेशानी कहां है, क्यों है?

मोहब्बत करने वालों की भलाई में इतना कुछ कहने के बाद वज़ीर ने सहाफ़ियों के लिए रसमलाई मंगवाई। फिर चाय पिलवाई। प्यार करने वालों के साथ बुरा सलूक होने से मैं दुख हुआ हूं। इसलिए आप लोगों को याद किया। वज़ीर जी कहीं आपका दिल भी फिसल तो नहीं गया? एक ने सवाल कर ही दिया। जवाब मिला- नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। पसंद से प्यार करने का हक़ सबको होना चाहिए।