शंकराचार्य इस्लाम के ख़िलाफ़ फैली ग़लत फ़हमियों को दूर करने में मसरूफ़!

अलीगडा

अगर कोई हिंदू मज़हबी रहनुमा हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का पैग़ाम देते नज़र आए तो महव हैरत होना फ़ित्री है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी (ए एम यू) में इस्लाम पर एक सैमीनार के दौरान कुछ यही नज़ारा था। कान्फ़्रेम्स में स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य, मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को अमन का पयाम्बर बताते हुए हाज़िरीन को उन के पैग़ामात का मतलब समझा रहे थे।

हिंदू मुस्लिम जिन एकता मंच के बानी स्वामी लक्ष्मी शंकराचार्य इस्लाम को समझने के लिए 10 बार क़ुरआन पढ़ चुके हैं। स्वामी शंकराचार्य इस्लाम और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बारे में फैली ग़लत फ़हमियों को दूर करने की कोशिश करते हैं। शंकराचार्य के मुताबिक़ पहले वो तवील अर्से तक इस्लाम को दहशतगर्दी से जोड़ कर देखते थे।

उन्होंने तब हिस्ट्री आफ़ इस्लामिक टेररिज्म नाम की किताब भी लिखी थी। इस में उन्होंने क़ुरआन की कुछ सूरतों को मुतशद्दिद क़रार दिया था। उन्होंने बताया कि जब वो इस्लाम की वजह से ख़तरे में अमरीका किताब की तसनीफ़ पर काम कर रहे थे, उस वक़्त इस्लाम के बारे में उनके ख़्याल में बुनियादी तबदीली आई।

स्वामी के मुताबिक़ उन्होंने मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बारे में क़रीब से पढ़ा और पाया कि वो हमेशा अमन के क़ियाम के लिए खड़े रहे। स्वामी बताते हैं कि उन्होंने क़ुरआन एक बार फिर पढ़ी और पाया कि जिन सूरतों को मैं तशद्दुद से जोड़ रहा था, इनका दहशतगर्दी से कोई ताल्लुक़ नहीं था।