शकर या गुड़ ? ज़ियाबतीस का मरीज़ आख़िर क्या करे ?

जालंधर 8 मार्च (एजैंसीज़) क्या गुड़ का इस्तिमाल ज़ियाबतीस(शूगर) के मरीज़ कर सकते हैं? शकर भी मीठी और गुड़ भी मीठा। अब ज़ियाबीतस का मरीज़ आख़िर करे तो क्या करे? डॉक्टर्स के इलावा माहिरीन सेहत दरअसल इस बात पर मुत्तफ़िक़ हैं कि शकर का इस्तिमाल गुड़ की बनिसबत ज़ाइद मोहलिक होता है।

शकर में मीठास की Calories की मिक़दार गुड़ के मुक़ाबले में कहीं ज़्यादा होती है, जबकि गुड़ को ग़रीबों का मीठा भी कहा जाता है और इस के ज़रिये किए गए पकवान लज़ीज़ तरीन तसव्वुर किए जाते हैं। जैसे गुलगुलों का तसव्वुर गुड़ के बगै़र किया ही नहीं जा सकता।

चोंगे भी गुड़ से ही तैय्यार होते हैं। गुड़ से कई इक़साम की चटनियां भी बनाई जाती हैं, जिनमें लाल और हरी मिर्च का इस्तिमाल भी होता है और इस तरह मिर्च की मौजूदगी से गुड़ में मौजूद मिठास में कमी हो जाती है, जबकि शकर से तैय्यार किए जाने वाले मीठों में मिर्च का इस्तिमाल नहीं किया जाता। ज़रा तसव्वुर कीजिए ! डबल का मीठा और मिर्च, खीर और मिर्च, ख़ूबानी का मीठा और मिर्च वग़ैरा।

लिहाज़ा ज़ियाबतीस के मरीज़ ये बात ज़हन नशीन करलीं कि उन्हें परहेज़ तो गड़ से भी करना है लेकिन उस की कम मिक़दार को इस्तिमाल किया जा सकता है जबकि शुक्र से तैय्यार किए गए मीठे बहुत ज़्यादा नुक़्सानदेह साबित होसकते हैं। ज़रूरत इस बात की है कि मीठी डिश को अगर इस्तिमाल ही ना किया जाये तो बेहतर होगा, क्योंकि सेहत अच्छी तो सब अच्छा। क्या आज आप शकर या गुड़ का कोई पकवान कर रहे हैं ?