हैदराबाद 30 अक्टूबर राजीव गांधी इंटरनैशनल अर पोर्ट शमस आबाद को सिर्फ आज़मीन-ए-हज्ज की रवानगी से तक़रीबन 95 लाख रुपये की आमदनी हुई है। अर पोर्ट मुसाफ़िर यन से यूज़र डीवलपमनट फ़ीस के नाम पर ख़तीर(अधिक) रक़म वसूल की जा रही है। ताहम आंध्रा प्रदेश हज कमेटी के तवस्सुत(कमी) से रवाना होने वाले आज़मीन को 50 फ़ीसद रियायत के साथ 900 रुपये फ़ीस वसूल की गई। इस तरह जारीया साल 7501 आज़मीन से ये रक़म वसूल हुई।
जबकि तमाम आज़मीन-ए-हज्ज टर्मिनल से रवाना हुए और अर पोर्ट पर फ़राहम की जाने वाली सहूलयात से अदम इस्तिफ़ादा के बावजूद उन्हें ये रक़म अदा करनी पड़ी। जी ऐम आर ने इस क़दर ख़तीर रक़म की वसूली के बावजूद हज टर्मिनल के नाम पर एक शैड तामीर किया है जहां आज़मीन-ए-हज्ज को वो सहूलतें फ़राहम नहीं जो दीगर मुसाफ़िर यन को अर पोर्ट पर फ़राहम की जाती हैं। यहां तक कि हज टर्मिनल में लगेज बेल्ट भी नसब नहीं किया गया है।