मुसलमानों की अराज़ी, उस अराज़ी पर मस्जिद की शहादत इस के बावजूद मुसलमानों को ही नमाज़ की इजाज़त नहीं। इस से बढ़ कर मुसलमानों के साथ ना इंसाफ़ी और उन के दस्तूरी हुक़ूक़ की पामाली क्या होगी। क्या आप तसव्वुर कर सकते हैं कि 40 सेन्टी ग्रेड दर्जा हरारत में धूप का क्या आलम होगा। धूप और गर्मी ऐसी कि खुले आसमान ज़मीन पर चंद मिनट भी ठहरना मुश्किल हो जाए। इन हालात में जुमा की नमाज़ कैसे अदा की जाती होगी?
ये वो मुक़ाम है जहां राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट शम्साबाद है जहां नमाज़ों की अदाएगी बड़ी मुश्किल से की जाती है एयरपोर्ट के अहाते में टैक्सी स्टैन्ड के करीब 23 मार्च 2008 से जब कि इस एयरपोर्ट का इफ़्तिताह अमल में आया, मुसलमान पंजवक़्ता नमाज़ें अदा कर रहे हैं।
वाज़ेह रहे कि ये एयरपोर्ट जुमला 5400 एकड़ वसीओ अरीज़ अराज़ी पर मुहीत है जिस में से 1065 एकड़ अराज़ी मौक़ूफ़ा है हद तो ये है कि एयरपोर्ट की तामीर के लिए अंदरूनी हिस्सा में मौजूद क़दीम मस्जिद उमर फ़ारूक़ को शहीद कर दिया गया।
एयरपोर्ट के अहाता में मस्जिद की तामीर का जी एम आर ग्रुप ने वाअदा किया इस के बावजूद वहां मस्जिद तामीर नहीं की बल्कि अफ़सोस तो इस बात पर है कि शदीद गर्मी और बारिश में टैक्सी ड्राईवर्स, मुसाफ़िरीन और अरकाने अमला खुले आसमान तले नमाज़ अदा करने पर मजबूर हो जाते हैं। हर नमाज़े जुमा में 300 मुसल्ली नमाज़ अदा करते हैं इस मर्तबा 200 मुसलमानों ने नमाज़ अदा की।
रियाज़ उद्दीन इमाम और ख़तीब हैं। मुस्लियों ने मज़ीद बताया कि रियासती वक़्फ़ बोर्ड को भी इस जानिब तवज्जा देनी चाहीए। वर्ना मुसलमानों को अपनी मौक़ूफ़ा अराज़ी पर ही खुले आसमान के लिए नमाज़ें अदा करने पर मजबूर होना पड़ेगा।