शम्साबाद सब्ज़ी मार्किट का शुमार शहर और मज़ाफ़ाती इलाक़ों की अहम तरीन सब्ज़ी मार्किटों में होता है गुज़िश्ता चंद बर्सों से ये मार्किट बहुत ज़्यादा ही मशहूर हो गई है उसे ये शोहरत ताज़ा सब्ज़ियों की फ़रोख़त या ग्राहकों की बहुत ज़्यादा तादाद यह फिर पुरफ़िज़ा महल वक़ूअ के बाइस नहीं मिली है बल्कि मार्किट में जो महकमा आर एंड बी का दफ़्तर है उस की बाउंड्री में 120 मुरब्बा गज़ अराज़ी पर तामीर कर्दा आर सी सी की एक मस्जिद के बाइस मिली है।
क़ारईन तक़रीबन 6 बरस पहले महकमा आर एंड बी ने बड़ी सरगर्मी का मुज़ाहरा करते हुए सब्ज़ी मार्किट में एक मस्जिद तामीर करवाई। इस मस्जिद की तामीर पर हमेशा की तरह भोले भाले मुसलमानों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई और उन लोगों ने इस महकमा की ज़बरदस्त सताइश की उन्हें ऐसा लगा कि महकमा आर एंड बी ने सब्ज़ी मार्किट में मौजूद मुस्लिम सब्ज़ी फ़रोश और वहां आने वाले मुस्लिम सारिफ़ीन की सहूलत के लिए ये मस्जिद तामीर करवाई है।
लेकिन हक़ीक़त ये थी कि महकमा आर एंड बी ने लबे सड़क पर वाक़े मस्जिद क़ुतुब शाही को शहीद करते हुए इस के इवज़ ये मस्जिद मुसलमानों के हवाले करने के मक़सद से नई मस्जिद की तामीर अमल में लाई थी। यानी वो मुसलमानों से मस्जिद की सौदेबाज़ी करने के ख़ाहां थे लेकिन इन बेचारों को ये नहीं मालूम कि मुसलमान मसाजिद की सौदेबाज़ी नहीं करते और जो करते हैं वो मुसलमान ही नहीं होते।
चुनांचे मुसलमानों के सख़्त रवैया को देखते हुए महकमा के हुक्काम ने मस्जिद को वीरान कर दिया और इस के दरवाज़ों और गेट पर ताले डाल दिए। हद तो ये है कि इस मस्जिद की दीवार से मुत्तसिल कचरे के अंबार पड़े हुए हैं और किसी भी ओहदादार या सयासी और समाजी क़ाइद को इस बात में महकमा आर एंड बी से नुमाइंदगी की ज़हमत तक नहीं होती।
रियासत की कांग्रेस हुकूमत जो सेक्यूलर होने के बुलंद बाँग दावे करती है अब उस की ज़िम्मेदारी है कि मस्जिद की बेहुर्मती के सिलसिला को रोकने मस्जिद फ़ौरी मुसलमानों के हवाले करदे।