नई दिल्ली। जनता दल(यू) से नाराज चल रहे शरद यादव अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसले के खिलाफ बड़ी लड़ाई की तैयारी कर रहे हैं। गुरुवार को दिल्ली में ‘साझा विरासत बचाओ सम्मेलन कर केंद्र सरकार को घेरने के अलावा बिहार सरकार पर भी हमला बोलेंगे।
बुधवार को शरद यादव ने पत्रकार वार्ता कर कहा कि तीन महीने पहले ‘साझा विरासत बचाओ सम्मेलन की योजना बनी थीं। जिसकी शुरुआत दिल्ली में होगी उसके बाद अन्य शहरों में इसका आयोजन होगा। लेकिन इस बीच जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने बिहार में महागठबंधन से नाता तोड़ लिया और भाजपा के साथ हाथ मिला लिया।
नीतीश कुमार के इस फैसले से पार्टी के कई नेता नाराज भी हो गए। जिनमें शरद यादव के अलावा सांसद अली अनवर, वीरेंद्र सिंह और कई पदाधिकारी शामिल थे।
विपक्षी दलों के नेता, बुद्धिजीवी, किसान नेता, युवा, दलित, आदिवासियों का एक मंच बनेगा जो पूरे देश में समानता, न्याय, बराबरी की लड़ाई के साथ यह संदेश दे कि हम भारतीय हैं। शरद यादव ने कहा कि देश में जो मौजूदा माहौल है उसके खिलाफ इस सम्मेलन को करने की तीन महीने पहले योजना बनी।
शरद यादव के मुताबिक सम्मेलन में सभी विपक्षी दलों के नेताओं को आमंत्रण पत्र भेजा गया है। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया। लेकिन सूत्र बता रहे हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद के अलावा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, माकपा महासचिव सीताराम येचुरी के अलावा बसपा, तृणमूल कांग्रेस, वामदलों के नेता शिरकत करेंगे।
जिस समय सम्मेलन की रूपरेखा बनी उस समय नीतीश कुमार साथ थे लेकिन अब अलग हैं। इस सम्मेलन के साथ ही शरद यादव और नीतीश कुमार के रास्ते अलग-अलग हो जाएंगे। हालांकि शरद यादव अभी पार्टी में बने हुए हैं लेकिन उनके करीबी सांसद अली अनवर, पूर्व महासचिव अरूण श्रीवास्तव सहित 23 लोगों को पार्टी से निष्कासित किया जा चुका है।