शरह तरक़्क़ी के अहया के लिए रुकावटें दूर करना ज़रूरी : वज़ीर-ए-आज़म

मुख़्तलिफ़ कलीदी इस्लाही (सुधार संबंधित) प्रोग्रामों में मुज़ाहमतों ( कठिनाइयों) का सामना करते हुए वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने आज कहा कि मौजूदा सूरत-ए-हाल ( वर्तमान हाल) को बरअक्स ( विपरीत) कर देने और हिंदूस्तान की शरह तरक़्क़ी का अहया करने के लिए क़ौम को ज़्यादा नासाज़गार मौसम का सामना करना होगा और तरक़्क़ी में हाइल ( बीच में आने) वाली तमाम रुकावटें दूर करनी होगी।

इन्फ्रास्ट्रक्चर से मुताल्लिक़ा वज़ारतों के इजलास ( सभा) में सूरत-ए-हाल का जायज़ा लेते हुए उन्होंने कहा कि कई महाज़ों और बाअज़म निशानों के हुसूल ( लाभ) और मईशत (जीवनधार) में तरक़्क़ी के लिए ख़ानगी शोबा को भी मुलव्वस करना होगा ।

इजलास ( सभा) में सरमाया कारी के बंदरगाहों और शहरी हवाबाज़ी के शोबों , बर्क़ी तवानाई ( बिजली उत्पादन) की पैदावार , कोयला की पैदावार और रेलवे की माल गाड़ियों के डिब्बों में सरमाया कारी में इज़ाफ़ा के नए निशाने मुक़र्रर किए गए।

फैसला किया गया कि दो नये शहरी हवाबाज़ी मराकज़ ( केंद्र) तख़लीक़ किए जाएंगे ताकि हिंदूस्तान को एक बड़ा गुज़रगाह ( आने जाने का रस्ता/ मार्ग) का मर्कज़ ( केंद्र) बनाया जा सके। मनमोहन सिंह ने कहा कि हमें ऐसा माहौल तख़लीक़ करने के लिए काम करना चाहीए जो सरमाया कारी के लिए साज़गार हो और तरक़्क़ी की राह में हाइल (बीच में आने वाले) रुकावटें दूर कर सकें।

उन्होंने कहा कि वो ज़रूरी इक़दामात (कार्य करने के) के पाबंद हैं।