शराब तमाम बुराईयों की जड़, क़ानून का सख़्ती से नफ़ाज़ ज़रूरी

मारूफ़ क़ौमी समाजी जहदकार स्वामी अग्नीवेश ने कहा कि शराब तमाम बुराईओं की जड़ है और शराब को उम्मुल ख़बाइस क़रार दिया गया है जिस के इस्तेमाल से समाज में बेशुमार बुराईआं जैसे इस्मतरेज़ि, तशद्दुद, क़त्लो ग़ारतगिरी, हादिसात के इलावा मुक़द्दस रिश्तों की पामाली और अख़लाक़ सोज़ वाक़ियात रुनुमा हो रहे हैं जिस के नतीजा में मुल्क की सालमीयत को ख़तरा लाहक़ हो गया है और मुल्क में अमनो अमान की बरक़रारी और क़ानून नज़्मो ज़ब्त की बरक़रारी में दुश्वारियां पेश आ रही हैं।

इस के बावजूद मर्कज़ी और रियासती हुकूमतें नशा बंदी क़ानून के नफ़ाज़ पर कोई तवज्जा नहीं दे रही हैं जो एक इंतिहाई मायूसकुन बात है। वो आज यहां समाजी तंज़ीम अपसा (APSA) और तंज़ीम बराए इंसिदाद शराब कमेटी के ज़ेरे एहतेमाम प्रेस क्लब बशीर बाग़ में मुनाक़िदा तेलुगु रियासतों की इंसिदाद शराबनोशी जद्दो जहद कान्फ़्रैंस को बहैसीयत मेहमाने ख़ुसूसी मुख़ातब थे।

उन्हों ने बताया कि मुल्क भर में ना सिर्फ़ शराब पर बल्कि दीगर नशा आवर अशीया जैसे तंबाकू, सिगरेट, गुटखा, ब्राउन शूगर, कोकीन जैसी नशीली अदवियात पर भी इमतिना आइद करने की अशद ज़रूरत है जिन के इस्तेमाल से ना सिर्फ़ इंसान के जिस्म को नुक़्सान पहुंचता है बल्कि नशा आवर अशीया के इस्तेमाल से समाज में कई बुराईआं जन्म लेने के इलावा मुल्क की नेकनामी भी मुतास्सिर होती है।

उन्हों ने बताया कि महात्मा गांधी ने कहा था कि मुल्क से अंग्रेज़ों को भगाने से ज़्यादा मुल्क से शराब को हटाने की सख़्त ज़रूरत है। उन्हों ने बताया कि दस्तूर हिंद के आर्टीकल (47) में नशा बंदी क़ानून से मुताल्लिक़ तफ़सील दर्ज है और नशा बंदी से मुताल्लिक़ लोक सभा और राज्य सभा में क़रारदाद मंज़ूर की गई थी लेकिन इस के बावजूद मर्कज़ी और रियासती हुकूमतों की जानिब से मुकम्मल नशा बंदी क़ानून पर अमल आवरी में टाल मटोल की पालिसीयां अख़्तियार कर रही हैं। सदर रियासती जना चैतन्या वेदिका मिस्टर वी लक्ष्मण रेड्डी ने जल्सा की सदारत की।