औरंगाबाद। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से औरंगाबाद में ‘तफ्हीमे शरीयत’ के शीर्षक से दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। इस कार्यशाला के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने किया। इस अवसर पर मुसलमानों की समस्याओं को लेकर सरकार के व्यवहार, मीडिया की भूमिका और इस्लाम को लेकर समाज में फैली गलतफहमियों की रोकथाम पर विचार विमर्श किया गया। उन्होंने कहा कि शरीयत में ऐसा लचीलापन है कि यह हर समय की आवश्यकताओं को पूरा कर सकती है। क्योंकि शरीयत इन्सान के फितरत के बिलकुल मुताबिक़ है और फ़ितरत कभी नहीं बदलती।
न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार औरंगाबाद के मौलाना आजाद रिसर्च सेंटर में आयोजित उलेमा व अकाबरीने मिल्लत की बैठक में इस पर विचार किया गया कि मिल्लत के समक्ष रखी चलैंजों का सामना कैसे किया जाए। इस मौके पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कार्यशाला के मकसद पर प्रकाश डाला और यह स्पष्ट किया कि शरीयत में ऐसा लचीलापन है कि यह हर समय की आवश्यकताओं को पूरा कर सकती है। क्योंकि शरीयत इन्सान के फितरत के बिलकुल मुताबिक़ है और फ़ितरत कभी नहीं बदलती। इस अवसर पर मौलाना रहमानी ने मुसलमानों की समस्याओं के संबंध में मीडिया की भूमिका पर भी अपनी शैली में आलोचना की।
दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र से अमीरे शरीयत मराठवाड़ा मुफ्ती मुईज़ कासमी ने भी संबोधित किया। अपने संबोधन में अमीरे शरीयत ने महिलाओं के संबंध में फैलाई जा रही गलतफहमी को प्रोपेगंडा बताया, और इस्लाम ने महिलाओं को क्या स्थान दिया है, उसे समझाया। वक्ताओं ने तलाक के मुद्दे पर सरकार की रुचि पर भी सवाल उठाए। दो दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में महाराष्ट्र और गोवा के आलिम, वकीलों और बुद्धिजीवियों ने भी भाग लिया। इस कार्यशाला के माध्यम से उलेमा और वकीलों से अपील की गई कि वे अहकामे शरीयत के बारे में खुद भी परिचित हूँ और समाज को भी परिचित कराएं।