फिलस्तीन। शासन ने आधिकारिक रूप से स्वीकार किया है कि जारी वर्ष के फरवरी महीने के अंत तक 437 फिलिस्तीनी बच्चे जेल में थे जिनमें से 329 की आयु 16 से 18 वर्ष के बीच थी जबकि पांच बच्चों की उम्र 14 वर्ष से कम थी और उसमें से 10 ऐसे थे जिन पर किसी प्रकार का कोई आरोप नहीं था।
अतिक्रमणकारी जायोनी शासन यथावत फिलिस्तीनी बच्चों के अधिकारों का हनन कर रहा है। जैसे बहुत से फिलिस्तीनी बच्चों को रातों को गिरफ्तार करता है, उन्हें शारीरिक व मानसिक यातनाएं देता है। इसी प्रकार माता- पिता की उपस्थिति के बिना उनसे पूछताछ, गिरफ्तारी के समय में बच्चों को कानूनी सहायता न देना और उन पर सैनिक अदालतों में मुकद्दमा चलाना आदि।
इससे पहले फिलिस्तीनी बंदियों के मामले के केन्द्र ने घोषणा की थी कि वर्ष 2015 में लगभग 6830 फिलिस्तीनी जायोनी शासन की जेलों में थे। वर्तमान समय में सात हज़ार से अधिक फिलिस्तीनी जायोनी शासन की जेलों में बहुत ही दयनीय परिस्थिति में हैं। यह ऐसी स्थिति में है कि जायोनी शासन द्वारा फिलिस्तीनियों विशेषकर बच्चों की गिरफ्तारी पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रियाओं का सामना है।
इस संबंध में ह्यूमन राइट्स वाच ने एक रिपोर्ट जारी करके जायोनी सैनिकों को जेल में बंद फिलिस्तीनी बच्चों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है। ह्यूमन राइट्स वाच ने बल देकर कहा है कि इस्राईली सैनिक पाश्विक ढंग से फिलिस्तीनी बच्चों से पूछताछ करते हैं और यह अमानवीय कार्यवाही है और इससे उन्हें मानसिक आघात पहुंचता है।
इसी प्रकार ह्यूमन राइट्स वाच ने घोषणा की है कि इंतेफाज़ा आंदोलन के आरंभ से अब तक फिलिस्तीनी बच्चों की गिरफ्तारी में 150 प्रतिशत की वृद्धि हो गयी है। बहरहाल जायोनी शासन के अपराधों के जारी रहने का एक महत्वपूर्ण कारण उस पर विश्व समुदाय विशेषकर मानवाधिकारों की रक्षा का दम भरने वाली सरकारों का मौन है।
साभार: वर्ल्ड हिंदी