इम्फाल, ०६ नवंबर (पीटीआई) मनीपुर की खातून आहन इरोम शर्मीला ने आज AFSPA (मुसल्लह अफ़्वाज को तफ़वीज़ किए गए ख़ुसूसी इख़्तेयारात) की दसतबरदारी का मुतालिबा करते हुए जिस भूक हड़ताल का आग़ाज़ किया था, इस ने आज 12 साल मुकम्मल कर लिए।
याद रहे कि 2 नवंबर 2000 को इम्फाल एयर पोर्ट के क़रीब मालूंम नामी इलाक़ा में आसाम राइफ़ल्स के साथ एक मुबय्यना एनकाउंटर में 10 अफ़राद की हलाकत जिस में एक ऐसा लड़का भी शामिल था, जिसे बहादुरी के क़ौमी एवार्ड से नवाज़ा गया था, के बाद शर्मीला ने फ़ौज को तफ़वीज़ किए गए ख़ुसूसी इख़्तेयारात से दसतबरदारी के लिए मौत तक अपनी भूक हड़ताल जारी रखने का ऐलान किया था।
अलतबा हुक्काम इन्हें नाक के ज़रीया ज़बरदस्ती स्याल ग़िज़ा देते रहे ताकि वो ज़िंदा रह सके। शर्मीला ने जिस वक़्त भूक हड़ताल का आग़ाज़ किया था उस वक़्त वो एक अख़बार की कालम निगार और समाजी कारकुन थी।