हैदराबाद 16 मई: शहरयाने हैदराबाद जहां मौसिम-ए-बाराँ के आग़ाज़ के लिए बेचैन हैं वहीं उन्हें ये फ़िक्र लाहक़ हो गई है कि कहीं बारिश के मौसम में उन्हें मुसलसिल तारीकी में रहना ना पड़े।
हफ़्ते की रात अचानक तेज़ हवाओं के साथ सिर्फ निसफ़ घंटे के लिए हुई बारिश के बाद अवाम के ज़हनों में ये सवाल पैदा हो गया क्युं कि निसफ़ घंटे की तेज़ हवाओं और बारिश की वजह से शहर का 70 फ़ीसद हिस्सा 12 घंटों के लिए तारीकी में डूबा हुआ था और महिकमा बर्क़ी के ओहदेदार सरबराही बहाल करने के मौकुफ़ में नहीं थे। यही वजह थी कि बर्क़ी कटोती की इत्तेला देने और बहाली से मुताल्लिक़ इस्तिफ़सार के लिए मुख़तस तक़रीबन तमाम टेलीफ़ोन नंबरात बंद कर दिए गए थे।
मुताल्लिक़ा आला ओहदेदार भी अवाम और सहाफ़ीयों के फ़ोन कॉल्स को मुसलसिल नजरअंदाज़ कर रहे थे। ख़ुद आला ओहदेदारों में भी एक दूसरे से बेहतर ताल मेल और इश्तिराक का फ़ुक़दान देखा गया। दोनों शहरों के कई इलाक़े निसफ़ घंटे की बारिश के बाद रात-भर के लिए तारीकी में डूबे रहे लेकिन कई इलाक़ों में बर्क़ी ओहदेदार अवामी शिकायात का जवाब देने या मसले की यकसूई के लिए दस्तयाब नहीं थे।