आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, देश में बने कुल 2.91 लाख घरों का 18.70 फीसदी निर्माण गुजरात में हुआ है. गुजरात को इन घरों के निर्माण के लिए 1,335 करोड़ रुपये की सहायता मिली. सरकार का लक्ष्य साल 2022 तक इस योजना के तहत शहरी गरीबों के लिए 1.2 करोड़ किफायती घरों के निर्माण का है. सरकार विभिन्न मदों में घर के निर्माण के लिए केंद्रीय सहायता मुहैया कराती है. इस स्कीम के तहत पहला घर बनाने या खरीदने के लिए होम लोन पर ब्याज सब्सिडी का फायदा उठाया जा सकता है. सरकार ने इसके लिए लोगों को दो श्रेणियों में बांटा है. जिन लोगों की आमदनी तीन लाख रुपये सालाना से कम है वे इडब्ल्यूएस में आते हैं. जबकि छह लाख रुपये सालाना तक कमाने वाले लोग एलआइजी में आते हैं.
इन दोनों श्रेणी में छह लाख रुपये तक के लोन पर 6.5 फीसदी तक ब्याज सब्सिडी का फायदा उठाया जा सकता है. यह योजना ग्रामीण और शहरी इलाकों दोनों के लिए कार्यात्मक है. पहले यह योजना 31 दिसंबर, 2017 को खत्म हो रही थी, जिसे बढ़ाकर भारत सरकार ने 31 मार्च, 2019 कर दिया है.
छत्तीसगढ़, हरियाणा, केरल, ओड़िशा, पंजाब, तेलंगाना और उत्तराखंड में 1,000-5,000 घर बने, वहीं सिक्किम में अब तक सिर्फ एक घर बना है. केंद्र शासित प्रदेश तथा अन्य राज्य अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़, दमन एवं दीव, गोवा, मेघालय और पुड्डुचेरी ने इस योजना के तहत 100 से कम घर बनाये हैं