शहर की ख़ूबसूरत तरीन मसाजिद में एक और मस्जिद का इज़ाफ़ा

आज जब क़ौम बाबरी मस्जिद शहादत की 22वीं बरसी मना रही है और हर तरफ़ उन अज़ाइम का इज़हार किया जा रहा है कि मुसलमान बाबरी मस्जिद से हरगिज़ दस्तबरदार नहीं होंगे क्योंकि इस पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता वहीं।

शिवराम पल्ली में वाक़े मरहूम हमीद उद्दीन आक़िल हस्सामी की निगरानी में 1976 में हज़रत अल्लामा मुहम्मद हस्साम उद्दीन फ़ाज़िल की याद में क़ायम किए गए जामिआ इस्लामीया दारुल उलूम हैदराबाद के अहाता में इस मस्जिद को तामीर किया गया है जिस का संगे बुनियाद 1990 में इमाम हरम अब्दुर्रहमान शेख़ अलसदीस के मुबारक हाथों से रखा गया था।

मस्जिद हज़ा की तामीर में मिल्लत के चंद मालदार अस्हाबे ख़ैर का तआवुन शामिल है। उसकी ख़ूबी ये हैकि ये सतह ज़मीन से 70 फ़ीट ऊंची और 190 फ़ीट चौड़ी है जिस के स्ट्रक्चर डीज़ाइनर मरहूम वली कादरी और आर्केटेक्ट हैदर अली हैं। यहां बैयक वक़्त 4000 मुस्लियों की गुंजाइश है। मस्जिद में जुमला 5 दरवाज़े हैं और हर दरवाज़ा की बुलंदी 20 फ़ीट है और 10 खिड़कियां भी इस मस्जिद की ख़ूबसूरती में इज़ाफ़ा करती हैं।

जब मस्जिद के ज़िम्मेदारों से बातचीत की गई तो उन्हों ने बताया कि तामीर के लिए संगमरमर राजिस्थान और ऑस्ट्रेलिया से दरामद किया गया। मस्जिद के चार गुंबदान हैं। तीन छोटे गुंबद हैं और एक वस्ती गुंबद है जो इंतिहाई दीदा जे़ब अंदाज़ में तामीर किए गए हैं और किसी क़दर फ़ासिला से मस्जिद पर नज़र डाली जाए तो ये मज़ीद ख़ूबसूरत नज़र आते हैं। मस्जिद में दाख़िला के लिए दो तरफ़ा ख़ूबसूरत सीढ़ीयों वाला रास्ता है।

मस्जिद के अतराफ़ और अकनाफ़ सब्ज़ाज़ार भी है। ज़िम्मेदारों ने बताया कि मस्जिद का काम 90 फ़ीसद मुकम्मल हो चुका है और माबक़ी काम तीन या चार माह के दौरान मुकम्मल हो जाएगा क्योंकि तामीर का काम शबाना रोज़ जारी है। वैसे रमज़ानुल मुबारक और ईदैन के मौक़ा पर तो वसीअ से वसीअ मसाजिद भी अपनी तंग दामिनी का शिकवा करती नज़र आती हैं।

दुआ हैकि अल्लाह के इस नए घर को किसी ऐसी शख़्सियत से मौसूम किया जाये जो इस का मुस्तहिक़ हो और उन लोगों के हक़ में दुआए ख़ैर की जाए जिन्हों ने बिला रास्त या बिला वास्ता तौर पर मस्जिद की तामीर में तआवुन किया हो——– abuaimalazad@gmail.com