शहर की झीलों को मिले केंद्रीय सुरक्षा

राज्य की झीलों को अब अंततः प्रक्रियाओं और अनुमतियों की परतों से गुज़ारना पड़ेगा। कर्नाटक झील संरक्षण और विकास प्राधिकरण (एलएलडीए) ने सिफारिश की है कि 176 ‘लाइव’ झीलों को जिन्होंने 9,100 एकड़ से अधिक क्षेत्र घेरा हुआ है उसे ‘जलमयभूमि’ के नियम, 2010 के तहत ‘जलमयभूमि’ घोषित कर दिया जाये।

महत्त्वपूर्ण रूप से इस घोषणा के बाद यह सभी झीले जलमयभूमि के नियमों, 2010 के अनतर्गत आ जाएगी जिसके कारण भूमि उपयोग में किसी भी परिवर्तन के लिए पर्यावरण और वन मंत्रालय के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता पड़ेगी । इससे राज्य सरकार पर दबाव बनेगा की वह तय सीमा के अंदर सीवेज के प्रवाह या ठोस अपशिष्ट डंपिंग या झीलों के अतिक्रमण को रोके। यह घोषणा सुप्रीम कोर्ट के दबाव के बाद आयी है जिसमे उन्होंने कहा की 2 लाख से अधिक टैंकों, झीलों, नदियों, और अन्य को ‘जलमयभूमि’ घोषित कर दिए जाये ताकि उन्हें सुरक्षा दी जा सके।