हैदराबाद।०९ फरबरी: (मुहम्मद मुबश्शिर उद्दीन ख़ुर्रम)
दोनों शहरों हैदराबाद-ओ-सिकंदराबाद बिलख़सूस हैदराबाद के पुराने शहर में वाक़्य तारीख़ी इमारतें ऐसा महसूस होता है कि सिर्फ फ़िल्म डायरैक्टरस की मरहून-ए-मिन्नत बाक़ी रह गई हैं चूँकि हुकूमत और महिकमा आसारे-ए-क़दीमा की जानिब से तारीख़ी इमारतों के तहफ़्फ़ुज़ के लिए किसी किस्म के अमली इक़दामात नज़र नहीं आती लेकिन फ़िल्म की शूटिंग केलिए इमारतों की हईयत बदलते हुए डायरैक्टरस इमारत को काबुल दीद बना देते हैं ।
हैदराबाद के तारीख़ी इमारतों के तहफ़्फ़ुज़ के मुआमला में मुताल्लिक़ा महिकमों की ग़ैरसंजीदगी और फ़िल्म इंडस्ट्रीज़ की जानिब से उन्हें इस्तिमाल करते हुए उन की हक़ीक़ीहालत में तबदीली का रुजहान शहर के सक़ाफ़्ती विरसा केलिए नुक़्सान का बाइस बन सकता है । 15अगस्त 2003-ए-को रीलीज़ हुई फ़िल्म तेरे नाम की शूटिंग के लिए सिटी कॉलिज की बैरूनी इमारत को रंग-ओ-रोगन फ़िल्म साज़ की जानिब से करवाया गया था जब ये रंग वरोग़न नहीं हुआ था उस वक़्त तक सिटी कॉलिज की इमारत की हालतइंतिहाई अबतर नज़र आती थी। यही सूरत-ए-हाल अब कुछ गर्वनमैंट डिग्री कॉलिज हुसैनीइलम की है जहां पर तलगो फ़िल्म डायरैक्टर अपनी फ़िल्म अवार्डौ की शूटिंग के लिए क़दीम तारीख़ी इमारत के रंग को यकसर तबदील कर दिया है ।
जिस में राम चरण तेज अदाकार हैं । गर्वनमैंट सिटी कॉलिज जो कि 1921-ए-का क़ायम करदा कॉलिज है । इस कॉलिज की इमारत को फ़िल्म डायरैक्टर सतीश कोशक के सबब रंग-ओ-रोगन नसीब हुआ । सिटी कॉलिज जो कि नवाब महबूब अली ख़ां ने क़ायम किया था जिसे 1921-ए-में 30 तलबा के साथ शुरू किया गया था
इस इमारत को काबुल दीद बनाना महिकमा आसारे-ए-क़दीमा की ज़िम्मेदारी थी लेकिन महिकमा आसारे-ए-क़दीमा के बजाय फ़िल्म डायरैक्टर ने इस इमारत को रंग-ओ-रोगन किया था । कमान शमस अलामरा के क़रीब दीवढ़ी ख़ुरशीदजाह के नाम से मारूफ़ ख़ुरशीद जाह बहादुर की बारहदरी जो कि इंतिहाई ख़स्ता हालत में पहुंच चुकी ही। दीवढ़ी ख़ुरशीद जाह में चंद बरसों क़बल तक भी हुसैनी इलम गर्लज़ जूनीयर कॉलिज चलाया जाता था लेकिन इमारत की ख़सताहाली के सबब जूनीयर कॉलिज को अक़बमें वाक़्य इमारत में मुंतक़िल करदिया गया ।
लेकिन इमारत की दाग़ दोज़ी या आहक पाशी के कोई इक़दामात नहीं किए गए थे । जब कि ये इमारत आसारे-ए-क़दीमा के तीसरे दर्जा के सक़ाफ़्ती विरसा में दर्ज फ़हरिस्त इमारत है । फ़िलहाल ख़ुरशीद जाह दीवढ़ी में एक नई तलगो फ़िल्म की शूटिंग जारी है जिस केलिए फ़िल्म साज़ का इद्दिआ है कि इस मेंमुताल्लिक़ा महिकमा से इजाज़त हासिल की है । लेकिन ओहदेदारों का ये कहना है कि इमारत की असल हईयत की तबदीली केलिए कोई इजाज़त फ़राहम नहीं की गई है । मगर फ़िल्म साज़ ने इमारत के रंग को मुकम्मल तौर पर तबदील करते हुए इमारत की हक़ीक़ीसूरत को तबदील कर दिया है ।
महिकमा आसारे-ए-क़दीमा एक जानिब सक़ाफ़्ती विरसा कीहिफ़ाज़त के नाम पर छोटे ब्योपारियों को हिरासाँ करते हुए उन्हें कारोबार से बेदख़ल करने में मसरूफ़ है तो दूसरी जानिब करोड़ों रुपय ख़र्च करते हुए चारमीनारता मदीना बिल्डिंग मौजूद पत्थर गिट्टी के कमानों पर मौजूद रंग-ओ-रोगन को निकालने की कोशिश की जा रही है ताकि उस की हक़ीक़ी सूरत को बरक़रार रखने के इक़दामात किए जा सके लेकिन महिकमा का पुराने शहर में ही वाक़्य इमारतों के ताल्लुक़ से इख़तियार करदा सौतेले सुलूकसे असास महसूस होता है कि ख़ुरशीद जाह सिटी कॉलिज चारमीनार निज़ामीया तिब्बीकॉलिज के एक गोशे में ख़िदमात अंजाम दे रहे आयुर्वेदिक कॉलिज की हईयत की तबदीलीसे महिकमा को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता ।
चारमीनार यूनानी दवाख़ाना के एक हिस्सा में मौजूद आयुर्वेदिक कॉलिज के रंग को भी हक़ीक़ी रंग निकालते हुए तबदील कर दिया गया है । तारीख़ी इमारतों का फ़िल्म साज़ों की जानिब से इस्तिमाल तारीख़ी इमारतों के तहफ़्फ़ुज़ या उस की मुरम्मत वग़ैरा की शर्त पर अगर किया जाने लगे तो सक़ाफ़्ती विरसा के तहफ़्फ़ुज़ को यक़ीनी बनाया जा सकता है ।
शहरी इंतिज़ामीया अगर इस सिलसिला में इक़दामात करते हुए फ़िल्म साज़ों के इस्तिमाल के लिए दी जाने वाली इमारतों की निशानदेही और उन में मौजूद मरम्मति कामों की निशानदेही के ज़रीया उन की तकमील की शर्त पर शूटिंग की इजाज़त देने के अहकामात जारी करे और साथ ही साथ ये शर्त भीआइद की जाय कि इमारत की हक़ीक़ी हईयत में किसी किस्म की तबदीली रौनुमा ना हो तो इमारतों का इस्तिमाल और इमारतों की हिफ़ाज़त दोनों मुम्किन है