शहर में माहे रमज़ान उल-मुबारक के इस्तिक़बाल(स्वागत‌) की तैय्यारीयां ज़ोर-ओ-शोर से जारी

शहर में माहे रमज़ान उल-मुबारक के इस्तिक़बाल(सुवागत‌) की तैय्यारीयां ज़ोर-ओ-शोर से जारी बेगम बाज़ार और दीगर बाज़ारों में करोड़ों रुपय मालियती ख़जूरों की दरआमद । मुस्लिम-ओ-ग़ैर मुस्लिम ताजरीन में ख़ुशी की लहर टेलरों की मांग में इज़ाफ़ा , फ़क़ीरं की आमद का सिलसिला भी शुरू रहमतों सआदतों बरकतों , बख़शिशों , इनायतों-ओ-नेअमतों के महीना रमज़ान उल-मुबारक की आमद आमद है और शहर हैदराबाद में इस माह-ए-मुबारक के इस्तिक़बाल की तैय्यारीयां ज़ोर-ओ-शोर से जारी हैं । हर कोई इस माह मुक़द्दस के इस्तिक़बाल-ओ-ख़ैर मुक़द्दम केलिए बेचैन नज़र आता है ।

रमज़ान उल-मुबारक की बरकतों का ये हाल हीका उसकी आमद के तज़किरों से ही अब माहौल में नूरानी ख़ुशबू फैली हुई है । माहौल में बसी ठंडक और हवाओ के ताज़ा झोंके और बारिश के मोती जैसे क़तरे ऐसा लगता है के जैसे कह रहे हूँ कि मुसलमानो रमज़ान उल-मुबारक की मुबारक-ओ-मुक़द्दस आमद होने ही वाले है इस की हर घड़ी हर साअत और हर लम्हा की बरकतें-ओ-सआदतें अपनी झोलियों में भरने केलिए तैय्यार होजाव‌ ।

बेशक रमज़ान उल-मुबारक की आमद को अब चंद दिन ही रह गए और हमेशा की तरह हैदराबाद के मुस्लमान इस माह के इस्तिक़बाल की तैयारीयों में मसरूफ़ हैं ख़ासकर रमज़ान के आते ही ताजरीन के अफ़्सुर्दा-ओ-फ़िक्रमंद चेहरों पर ख़ुशी की लहर दौड़ जाती है । क्योंकि इन का ही कहना होता है की साल भर में जो कमाई नहीं होती रमज़ान उल-मुबारक के एक माह में इतनी कमाई होजाती है ।

बहरहाल शहर की बेशतर मसाजिद में साफ़ सफ़ाई और आहक पाशी रंग-ओ-रोगन तज़ईन-ओ-आराइश का काम होचुका है जबकि शहर के मुख़्तलिफ़ मुक़ामात पर ताजरीन रमज़ान उल-मुबारक के दौरान अशीया की ज़बरदस्त तलब को देखते हुए अश्या-ए-ख़ुर्द-ओ-नोश मशरूबात , ख़ुशक मैवा जात , खजूर , मलबूसात , अतरयात वग़ैरा का स्टाक करने लगे हैं ।

बेगम बाज़ार के ताजरीन इस साल माह रमज़ान उल-मुबारक में खजूर की ज़बरदस्त मांग के पेशे नज़र ईरान , यमन , इराक़ , अल्जीरिया , सऊदी अरब , मुत्तहदा अरब इमारात वग़ैरा से खजूर मंगवा रहे हैं । वैसे साल के बारह माह बेगम बाज़ार के चार पाँच ताजरीन के य‌हाँ खजूर और दीगर ख़ुशक मेवे जात का वाफ़र मिक़दार में स्टाक रहता है लेकिन रमज़ान उल-मुबारक के दौरान सेल्स‌ या फ़रोख़त में ग़ैरमामूली इज़ाफ़ा को देखते हुए दीगर ताजरीन भी खजूर का स्टाक रख रहे हैं । एक अंदाज़ा के मुताबिक़ सिर्फ शहर हैदराबाद के अहम बाज़ारों में करोड़ों रुपय का खजूर दरआमद किया जा रहा है ।

इस सिलसिला में ग़ैर मुस्लिम ताजरीन बहुत सरगर्म दिखाई देते हैं । उन लोगों का यही कहना है की दसेहरा दीवाली से कहीं ज़्यादा उन्हें रमज़ान उल-मुबारक में कमाई होजाती है । यहां तक कि इस माह के दौरान उन्हें एक मिनट की फ़ुर्सत ही नहीं मिलती । इसके अलावा काम करने वालों के डीमांड या मांग को देख कर ताजरीन इन्हें एडवांस या पेशगी रक़म देने तक केलिए तैय्यार होजाते हैं ।

मदीना मार्किट पत्थर गिट्टी अय्बीडस और दीगर इलाक़ों में वक़्य मलबूसात के ताजरीन का कहना है की रमज़ान उल-मुबारक केलिए उन लोगों ने बच्चों बड़ं ख़ासकर लड़कीयों और ख़वातीन केलिए मुंबई , दिल्ली , जबलपूर , अहमदाबाद , सूरत वग़ैरा से स्टाक मंगवाया है और मज़ीद स्टाक आरहा है ।

इन ताजरीन ने सियासत को बताया कि हर साल रमज़ान उल-मुबारक के मौखे पर नित नए डिज़ाइन के कपड़े और तैय्यार मलबूसात रखना ज़रूरी होता है । इन ताजरीन ने ये भी बताया कि सारे हिंदूस्तान में हैदराबाद के रमज़ान उल-मुबारक की बात नहीं आती । यही वजह है की रियासत बल्कि बैरून-ए-रयासत ख़ासकर बैंगलौर , चेन्नाई , नानडीड़ , औरंगाबाद , केराला और बेल्लारी , बैंगलौर , पूना से भी ख़रीदार हैदराबाद का रुख करते हैं ।

वो दिन भर ख़रीदारी करके तारीख़ी मक्का मस्जिद में इफ़तार करके फिर अपने मुताल्लिक़ा मुक़ामात केलिए रवाना होजाते हैं। पत्थर गिट्टी के एक ताजिर ने बताया कि पूना मुंबई से 150 कीलोमीटर फ़ासिला पर वक़्य है लेकिन इसके बावजूद 500 किलो मीटर का फ़ासिला तै करके वहां के ख़रीदार हैदराबाद आते हैं ।

हम ने पत्थर गिट्टी के साथ साथ सिवइयो की तैय्यारी के मुक़ामात का भी जायज़ा लिया । जहां कारीगरों ने बताया कि इन के पास तीन माह क़बल से ही रमज़ान उल-मुबारक केलिए आर्डरस शुरू होचुके हैं । और वो स्पलाई जारी रखे हुए हैं । मल्लापल्ली मैं अतरयात के एक मशहूर इतर फ़रोश का कहना है की हैदराबादी अवाम रमज़ान उल-मुबारक के दौरान ख़ुशबू का बहुत ज़्यादा इस्तेमाल करते हैं इस लिए उन्हों ने अपनी दूकान में नया स्टाक भर दिया है ।

इस तरह शहर में टेलर्स भी बड़े ख़ुश हैं और रमज़ान का आग़ाज़ ही नहीं हुआ लेकिन इन का कहना है की अभी से बहुत ज़्यादा काम आगया है और बाज़ार में कारीगरों की कमी है ऐसे में इन लोगों केलिए बिहार और यू पी के कारीगर एक राहत बन कर सामने आते हैं । रमज़ान उल-मुबारक के दौरान बिहार और यू पी से कम अज़ कम हज़ार टेलर्स हैदराबाद में आकर कारीगरों की हैसियत से काम करते हैं जिस से उन्हें काफ़ी आमदनी होजाती है ।

हम ने मदीना मार्किट से लेकर पत्थर गिट्टी और पुराने शहर के हुसैनी इलम शाह अली बंडा एतबार चौक का भी जायज़ा लिया और फुट वीर शॉप्स के मालकीयन से बातचीत की जिस पर पता चला कि हर रमज़ान उल-मुबारक की तरह इस मर्तबा भी नया स्टाक रखा जा रहा है ।

दूसरी जानिब लाड बाज़ार जैसे क़दीम बाज़ार में मोतीयों के हारूँ और मस्नूई जे़वरात के साथ साथ चूड़ीयों के नए डिज़ाइनस रखे गए हैं और कारीगरों को फ़ुर्सत ही नहीं है । शहर में तैय्यार मलबूसात के एक मुमताज़ ताजिर ने बताया कि इन के पास मुक़ामी और ग़ैर मुक़ामी तैय्यार कुनुन्दगान से शेरवानी , कुर्ता पाजामा और हमा इक़साम के कपड़े मंगवाए गए हैं ।

अब आते हैं खाने पीने की अशीया की जानिब छोटे दुकानदार भी ज़्यादा से ज़्यादा स्टाक रखने में मसरूफ़ हैं वैसे भी सारे हिंदूस्तान में ये मुहावरा आम होगया है की अगर किसी को अच्छी और लज़ीज़ ग़िज़ाएं ख़ासकर हलीम खानी हो तो माह रमज़ान उल-मुबारक के दौरान हैदराबाद चले जाएं ।

शहर की तक़रीबन होटलों ने अपने होटलों के बाहर हलीम की तैय्यारी केलिए भट्टियां लगादी हैं ।दूसरी जानिब बलदिया पुलिस और दीगर सरकारी मह्कमाजात हरकत में आचुके हैं । वाज़िह रहे कि हैदराबादी मुस्लमानों की ख़ुदातरसी इंसानियत-ओ-हमदर्दी ग़रीबों की मदद के जज़बा और सब से बढ़ कर माह रमज़ान उल-मुबारक से मुहब्बत को देखते हुए रियासत के मुख़्तलिफ़ मुक़ामात और दीगर रियास्तों से फ़क़ीरों की शहर में आमद का सिलसिला भी शुरू होचुका है ।

फलों के ताजरीन भी रियासत के मुख़्तलिफ़ मुक़ामात से फल मंगवा कर स्टाक कररहे हैं । उन्हें उम्मीद है की आइन्दा कुछ दिनों में मज़ीद माल हैदराबाद पहूंच जाएगा