शहर में सूदखोर फिर सरगर्म, शाहीन नगर में फिनान्सर्स के हाथों एक शख़्स का अग़वा

शहर के मुख़्तलिफ़ मुक़ामात पर फिनान्सर्स (सूदखोरों) की सरगर्मीयां फिर उरूज पर पहूंच गई हैं। सूदखोरों के बारे में ये आम तास्सुर है कि वो इस आदमख़ोर दरिन्दा की तरह होते हैं, जो इंसानी जिस्म को नोच नोच कर खा जाता है।

ऐसा ही कुछ सआदत नगर (शाहीन नगर) के रहने वाले मुहम्मद अबदुर्रहीम उर्फ़ इक़बाल के साथ हुआ है। पेशा से लारी ड्राईवर 52 साला इक़बाल गुजिश्ता 9 यौम (रोज) से लापता हैं और उन के अरकान ख़ानदान (घर वालों) का कहना है कि फिनान्सर्स ने इन का अग़वा कर लिया है।

मुहम्मद अबदुर्रहीम उर्फ़ इक़बाल की अहलिया और भाई डाक्टर मुहम्मद अबदुल हमीद ने बताया कि इक़बाल सऊदी अरब में मुलाज़मत किया करते थे। हिंदूस्तान वापसी पर उन्हों ने जो रक़म बचाए रखी थी, इस से एक लारी ख़रीदी। इस के लिए उन्हों ने फिनान्सर्स से क़र्ज़ भी हासिल किया।

यहीं से उन की मुसीबतों-ओ-मुश्किलात का आग़ाज़ हो गया। एक साल कब्ल ये लारी जल कर ख़ाकसतर हो गई और इस भोले भाले शख़्स को बेवक़ूफ़ बनाते हुए फिनान्सर्स ने इंशोरेंस की रक़म भी हासिल कर ली।

कुछ रोज़ से मुहम्मद अबदुर्रहीम को फ़ोन पर धमकीयां दी जा रही थीं और फिनान्सर्स अपने ग़ुंडों को घर पर भेज कर संगीन नताइज भुगतने के लिए तैय्यार रहने का इंतिबाह दे रहे थे। इक़बाल के अरकान ख़ानदान ने बताया कि इंशोरेंस की रक़म हासिल करने के बावजूद फ़ीनानसर आख़िर उन के पिछे क्यों पड़ गए हैं।

इस बारे में वो कुछ नहीं जानते। इन लोगों ने ये भी बताया कि मुहम्मद अबदुर्रहीम 30 अगस्त को अपने बच्चों के तालीमी स्कॉलर शिप्स फॉर्म्स दाख़िल करने के लिए मकान से निकले थे। इन फॉर्म्स के हुसूल में एक समाजी कारकुन ने उन की मदद की थी। ताहम (लेकिन) मेह्दी पटनम, चंदरायन गुट्टा के दरमयान आर टी सी बस से वो ग़ायब हो गए।

इन का अग़वा किया गया या उन्हें क्या हुआ है इस बारे में किसी को कुछ नहीं मालूम। ये ज़रूर है कि फ़ीनानसर उन्हें धमकीयां दिए जा रहे थे। । जब तक सूदखोरों को इबरतनाक सज़ाएं नहीं दी जाती तब तक इंसान की शक्ल में घूम रहे ये हैवान मासूम-ओ-भोले भाले और ग़रीब-ओ-ज़रूरतमंद इंसानों का ख़ून चूसते रहेंगे।

दूसरी तरफ़ अवाम को भी चाहीए कि वो बड़े पैमाने पर कारोबार शुरू करने के लिए फ़ीनानसरों से क़र्ज़ लेने की बजाय बिना सूदी क़र्ज़ हासिल करके छोटे पैमाने पर कारोबार शुरू करें। इस में बरकत भी होगी और सूद की लानत से भी महफ़ूज़ रहेंगे।

सब से अहम बात ये है कि आप को किसी मज़लूम नौजवान की तरह ख़ुदकुशी करने या अबदुर्रहीम उर्फ़ इक़बाल की तरह लापता होने के लिए मजबूर होना नहीं पड़ेगा। मुस्लमानों में सूदी क़र्ज़ हासिल करने की लानत बड़ी तेज़ी से फैल रही है। इस में ग़रीब और मुतवस्सित (मिडल क्लास ) ख़ानदान के लोग शामिल हैं।

लारियां ख़रीदने की बजाय आटो ख़रीद लें, बड़ा कारोबार करने के बजाय छोटा कारोबार शुरू करें वर्ना एक मर्तबा सूदखोरों के चंगुल में फंस जाएं तो फिर उस नापाक-ओ-गंदगी के चंगुल से निकलना मुश्किल हो जाएगा। abuaimalazad@gmail