आरटीआई कार्यकर्ता शेहला मसूद के भोपाल में हुए क़त्ल के पाँच साल बाद, सीबीआई की एक अदालत ने शुक्रवार को इंटीरियर डिज़ाइनर ज़ाहिदा परवेज़ और उसके तीन साथियो को क़त्ल के आरोप में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है|
न्यायाधीश बी के पालोदा की अध्यक्षता वाली सीबीआई की विशेष अदालत ने, ज़ाहिदा को मुख्य आरोपी और तीन अन्ये आरोपियों सबा फ़ारूक़ी, साकिब अली उर्फ़ ‘डेंजर’ और ताबिश को सीबीआई द्वारा जांच पड़ताल किए गए इस हाई प्रोफाइल मामलें में दोषी माना|
हालाँकि , अदालत ने एक और आरोपी इरफ़ान, जो कानपूर का रहने वाला है और बाद में सरकारी गवाह बना,इस मामलें में बरी कर दिया|
“अभियोजन पक्ष अदालत को इस बात पर राज़ी करने में कामयाब रहा की, ज़ाहिदा ने ईर्ष्या के कारण, शेहला को मारने के लिए हत्यारो को काम सोंप था| ज़ाहिदा, भाजपा नेता ध्रुवनारायण सिंह और शेहला के बीच बढ़ते संबंधों से नाखुश थी,सीबीआई के मुख्य सरकारी अभियोजक अतुल कुमार ने संवादाताओं को बताया|
सीबीआई ने मुक़दमे के दौरान अदालत के सामने ८० गवाह पेश किये थे|
शेहला की १६ अगस्त,२०११ को उनके घर के पास भोपाल के कोह-इ-फ़िज़ा इलाके में दिन दहाड़े गोली मार के हत्या कर दी गयी थी|
ज़ाहिदा अदालत के फैसले से निराश थी और उन्होंने कहा की “में फैसले से अचंभित हूँ|”
आरोपी पक्ष के वकील संजय शर्मा और सुनील श्रीवास्तव ने कहा की वह इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में जायेंगे|