शहाबुद्दीन जमानत के बाद सीवान में, गवाहों की जान को खतरा : प्रशांत भूषण

नयी दिल्ली/पटना/सीवान : पटना हाई कोर्ट में राजद के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन को हत्या के एक मामले में जमानत देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर दो याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई हो रही है. इसके मद्देनजर राज्य प्रशासन ने सीवान और आसपास के जिलों की पुलिस को अलर्ट किया है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बिहार सरकार से सवाल किया कि शहाबुद्दीन के ट्रायल पर रोक क्यों है. जिसपर बिहार सरकार ने जवाब दिया कि शहाबुद्दीन को सिवान से भागलपुर जेल ट्रांसफर किये जाने के कारण ट्रायल नहीं हो पा रहा था. राज्य सरकार की इस दलील पर जमानत का विरोध कर रहे चंदा बाबू के वकील प्रशांत भूषण ने असहमति जतायी. प्रशांत भूषण ने कोर्ट से कहा कि शहाबुद्दीन के जेल से बाहर रहने से गवाहों को जान को खतरा हो सकता है.

मालूम हाे कि शहाबुद्दीन जमानत के बाद सीवान में ही हैं. सोमवार को इस मामले पर सुनवाई टल गयी थी क्योंकि शहाबुद्दीन के लिए जिरह करने वाले मशहूर वकील राम जेठमलानी कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए थे. न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति अमिताभ राय की पीठ ने मामले पर सुनवाई बुधवार के लिए तय की थी और कहा कि उसे दोनों पक्षों के बीच संतुलन बनाये रखना है. सोमवार को कोर्ट में शहाबुद्दीन का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने आग्रह किया कि मामले पर शुक्रवार को सुनवाई की जाए क्योंकि जेठमलानी मौजूद नहीं हैं और उपयुक्त बचाव के लिए मामले के बड़े केस रिकॉर्ड को पढ़ने की जरुरत है. पीठ ने कहा, ‘चूंकि मामले में आरोप-प्रत्यारोप लगाये जा रहे हैं इसलिए दोनों पक्षों की बात सुने बगैर हम आदेश पारित नहीं करेंगे. हम इसे बुधवार यानि 28 सितंबर के लिए तय कर रहे हैं.’ शहाबुद्दीन की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील शेखर नफाडे ने कहा था कि उनका मुवक्किल मीडिया ट्रायल से पीड़ित है और उसे अपना मामला प्रस्तुत करने के लिए पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए.

बिहार सरकार ने मंगलवार को शहाबुद्दीन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट को अतिरिक्त दस्तावेज सौंपा है. खास बात यह है कि राजद नेता के खिलाफ नीतीश सरकार की ओर से इन दस्तावेजों को तब सौंपा गया है जब बुधवार को इस मामले में अहम सुनवाई होनी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बिहार सरकार की ओर से शहाबुद्दीन से जुड़े कुल 75 अपराधिक मामलों से जुड़ी एक सूची भी सुप्रीम कोर्ट को सौंपा गया है. इनमें से दस मामलों में शहाबुद्दीन को सजा सुनाई गयी है जबकि 20 मामलों में वे दोषमुक्त करार दिये गये है. वहीं 45 अन्य मामलों में विभिन्न स्तरों पर सुनवाई लंबित है. इनमें से ज्यादातर मामलों की सुनवाई पटना हाईकोर्ट में हो रही है और इनपर स्टे लगा हुआ है. इसके साथ ही सीवान के जिलाधिकारी की ओर से गृह विभाग को लिखे गये एक पत्र की कॉपी भी कोर्ट को उपलब्ध करायी गयी हैं. जिसमें जेल में रहने के दौरान शहाबुद्दीन के द्वारा तय मानदंडों के खिलाफ किये गये गतिविधियों का जिक्र किया गया है.

साथ ही बिहार सरकार ने एक सीनियर अधिवक्ता को सुप्रीम कोर्ट में खड़ा करने का फैसला किया है. अब राज्य सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी बहस में भाग लेंगे. उनके साथ अधिवक्ता गोपाल सिंह भी सुनवाई में सहयोग करेंगे. गोपाल सिंह ने पिछली बार सरकार का पक्ष रखा था.