शहज़ाद पूनावाला की राष्ट्रपति से मांग: राज्यपाल कल्याण सिंह को बर्खास्त किया जाए।

नई दिल्ली: देश का संविधान एक ऐसी किताब है जिसके ऊपर और दायरे के बहार न काम करने की इज़ाज़त न तो किसी सरकार को है और न ही सरकार का कोई नुमाइंदा इसकी खींची हुई लकीर के बाहर जा कर कोई काम कर सकता है। लेकिन 2014 में सत्ता में आई बीजेपी सरकार और इसके मंत्री शायद खुद को इस संविधान से भी ऊपर मानने लगे हैं। सरकार और उसके वफादार मंत्रियों की हरकतें और बयानबाज़ी देखें तो ऐसा लगता है जैसे इन्हें या तो संविधान की जानकारी नहीं है या फिर पार्टी हाईकमान ने इन्हें छूट दे रखी है कुछ भी करने की।

पार्टी के वफादार और संविधान और कानून से अनजान ऐसे ही एक पूर्व मंत्री हैं जो आजकल हैं तो राजस्थान के गवर्नर लेकिन इस गुणगान और काम सिर्फ पार्टी का करते हैं।

ऐसा कहना है शहजाद पूनावाला का जोकि एक वकील और सिविल राइट्स एक्टिविस्ट/ कार्यकर्ता हैं। इस मामले में सरकार का ध्यान अपनी बात की तरफ खींचने की लिए शहज़ाद ने राष्ट्र्पति प्रणब मुखर्जी को एक चिट्ठी लिखकर बताया है की कैसे कल्याण सिंह राजस्थान के गवर्नर होते हुए भी बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं जो कि एक ऐसा काम है जिसके लिए कानून या संविधान इजाज़त नहीं देता।

शहज़ाद ने अपने खत में लिखा है:


माननीय राष्ट्र्पति जी,

बड़े ही दुःख के साथ मैं आपके ध्यान में यह बात लेकर आना चाहता हूँ कि श्री कल्याण सिंह जोकि 4 सितम्बर 2014 से लेकर राजस्थान के राज्यपाल हैं, ने पिछले दिनों में कुछ ऐसे कामों को अंजाम दिया है और कुछ ऐसे बयान दिए हैं जो एक राज्यपाल के लिए नामुनासिब/अशोभनीय हैं। इन बयानों और कामों से उन्होंने यह साबित कर दिया है कि वह एक गवर्नर बनने के काबिल नहीं हैं। इसलिए आप से गुज़ारिश की जाती है कि की संविधान के आर्टिकल 156(1) के तेहह आपको मिले हक़ का इस्तेमाल करके आप उन्हें गवर्नर के पद से हटा दें।


शहज़ाद ने अपनी दलील को जायज़ ठहराने के लिए अपने खत में अलग-अलग अखबारों का हवाला भी दिया है जिसमें कल्याण सिंह ने कानून और संविधान के खिलाफ जाकर अपनी पार्टी के हक़ में काम किया है बयान दिए हैं जोकि पूरी तरह से कानून के खिलाफ है।

आपको बता दें कि पिछले दिनों कल्याण सिंह ने उत्तर प्रदेश में जहाँ के वह रहने वाले हैं और पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं में जाकर पार्टी के प्रचार के लिए काम किया और ऐसी बयानबाज़ी की थी जिन्हें कानून के तहत एक “राज्यपाल के पद की मर्यादा के खिलाफ माना जाता है”।

असल में एक राज्यपाल के लिए काम करने का एक दायरा होता है जिसके अंदर रहकर ही उन्हें काम करना होता है ।

राज्यपाल चुने जाने के बाद उन्हें पार्टी के कामों से दूर रह कर ऐसे तरीके से काम करना होता है जिससे वो सभी पार्टियों को बराबर बोलने का और हक़ दें और किसी एक पार्टी के हक़ के लिए काम न करें लेकिन कल्याण सिंह ने उत्तर प्रदेश में अपने जन्मदिन की पार्टी के दौरान अपने घर पर इकट्ठे हुए पार्टी वर्करों को कहा कि वह हमेशा अपनी पार्टी(बीजेपी) के इशारों पर काम करते रहेंगे। गौरतलब है कि कल्याण सिंह के जन्म दिन के मौके पर बीजेपी के पार्टी वर्करों ने उनके घर के बाहर उनके(कल्याण सिंह) के नाम के होर्डिंग्स लगाये थे जिसके बैकग्राउंड में उन्होंने राम मंदिर दिखाया गया था और नीचे पार्टी के उन लोगों के नाम लिखे हुए थे जिनको २०१७ के यू.पी. इलेक्शन में टिकट दी जाने की उम्मीद है।

इसके इलावा अपने दिए दो और बयानों के जरिये उन्होंने कहा था कि सभी का सपना है कि अयोध्या में राम मंदिर बने अपनी बात को सहारा देने के लिए राज्यपाल राम नाईक को भी घसीटते हुए कहा कि नाईक भी यही चाहते हैं। जबकि दुसरे बयान में उत्तर प्रदेश में लोग समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी से हर हाल में बचना चाहती है।

इन्हीं सब बयानों का अपने खत में ज़िक्र करते हुए शहज़ाद पूनावाला ने कल्याण सिंह को राज्यपाल की कुर्सी से बर्खास्त करने की मांग की है।