शादियों में फ़ुज़ूल खर्ची से बचे दुबई में ज़ाहिद अली ख़ां का सेमिनार

दिल से जो बात निकलती है असर रखती है
पर नहीं ताक़त परवाज़ मगर रखती है

जनाब ज़ाहिद अली ख़ां की तरफ् से शादियों में फ़ुज़ूल खर्ची घोड़े जोड़े की रक़म शादी के दिन खाने के एहतेमाम और दुसरे बेजा रसूमात के ख़िलाफ़ जो मुहिम हैदराबाद में शुरू की गई थी वो सरहदें पार करते हुए समुंद्र पार भी अवाम की मक़बूलियत हासिल कर रही है और फ़िक्रमंद हैदराबादियों ने इस मुहिम में जनाब ज़ाहिद अली ख़ां का भरपूर साथ देने का अह्द किया है।

ख़ुदादाद ख़ां ग्रुप मैनेजिंग डायरेक्टर एड राईट ग्रुप यू ए ई-ओ-कतर और सदर नशीन इनायत मिल्लत वेल कैर चैरिटेबल ट्रस्ट ( हम्ना आबाद । ज़िला बीदर कर्नाटक ) के ज़ेरे एहतेमाम दुबई की कार्प एग्जीक्यूटिव अलख़ोरी होटल में हैदराबादी सेमिनार का एहतेमाम किया गया जिस में जनाब ज़ाहिद अली ख़ां एडीटर सियासत ने बहैसियत मेहमान ख़ुसूसी शिरकत की।

इस मौके पर जनाब ज़ाहिद अली ख़ां को दुबई में हैदराबादी बिरादरी की तरफ से तहनियत भी पेश की गई। ख़ुदादाद ख़ां ने तक़रीब की सदारत की और एडीटर सियासत की तरफ से शुरू करदा तहरीक की मुकम्मिल ताईद का एलान किया।

उन्होंने कहा कि हर ज़िम्मेदारी शख़्स को इस मुहिम की ताईद-ओ-हिमायत करनी चाहीए। ये मुहिम मिल्लत की फ़लाह-ओ-बहबूद की ज़ामिन होसकती है।

मुहम्मद मुसद्दिक़ की तिलावत क़ुरआने पाक से सेमिनार का आग़ाज़ हुआ। जनाब ज़ाहिद अली ख़ां ने अपने ख़िताब में कहा कि शादियों में बेजा रसूमात फ़ुज़ूल खर्ची काई कीस्म के खानों बड़े शादी ख़ानों का हुसूल फूलों की सजावट पर ख़तीर रक़ूमात के ख़र्चा से मिल्लत की तालीमी और मआशी हालत सुधरने नहीं पा रही है।

उन्होंने कहा कि शादियों में बेजा रसूमात की वजह से बेशुमार लड़कियां बिन ब्याही बैठी हैं और उनकी ज़िम्मेदारी सब पर होती है। एडीटर सियासत ने नौजवान लड़कों और उनके वालिदेन पर ज़ोर दिया कि वो शादी के लिए लड़की वालों पर बोझ डालने से गुरेज़ करें और जहेज़ की फ़राहमी-ओ-खाने के एहतेमाम पर इसरार ना करें।

जनाब ज़ाहिद अली ख़ां ने कहा कि शादियों में इस तरह के फ़ुज़ूल खर्ची को ख़त्म करते हुए मिल्लत की मआशी और तालीमी हालत को सुधारा जा सकता है इस मुहिम में हर एक को अपनी ज़िम्मेदारी अदा करनी चाहीए।

उन्होंने कहा कि वो तो रिश्तों के ताल्लुक़ से अख़बारात में शाय होने वाले इश्तिहारात में लड़की का इंतिहाई ख़ूबसूरत होना फेर कलर होना और शादी मयारी की जाएगी जैसे जुमलों के इस्तेमाल के भी मुख़ालिफ़ हैं और इस ताल्लुक़ से भी अवाम को ग़ौर करना चाहीए ।

जनाब ज़ाहिद अली ख़ां ने बताया कि उन्होंने ख़ुद अपनी बहन की लड़की ( भांजी ) की शादी की तक़रीब में महिज़ इस लिए शिरकत नहीं की थी क्यूंकि इस शादी का सिकंदराबाद के एक बहुत बड़े शादी ख़ाने में एहतेमाम किया गया था।

एडीटर सियासत ने इस मौके पर अपने इस अज़म का इआदा किया कि वो एसी शादियों में बिलकुल शिरकत नहीं करेंगे जिन में बेजा रसूमात इख़तियार की जा रही हूँ यह फिर जिन में खाने का एहतेमाम किया जा रहा हो।

उन्होंने कहा कि वो रोज़नामा सियासत में एसी शादियों की तसावीर की इशाअत भी नहीं करेंगे। उन्होंने तजवीज़ किया कि शादियों में खाने वगैरह के एहतेमाम से बचने के लिए निकाह की रस्म को बाद अस्र मुक़र्रर किया जाये ताकि खाने का मौक़ा ही ना रह पाए।

जनाब ज़ाहिद अली ख़ां ने कहा कि शादियों में जो ख़तीर रक़ूमात बेजा ख़र्च की जा रही हैं वो मिल्लत की तालीमी और मआशी हालत को सुधारने में इस्तेमाल की जाएं तो हम किसी की मदद के बगैर ख़ुद अपनी हालत को बेहतर बना सकते हैं।

दुबई में तवील अर्सा से मुक़ीम शेख ज़फ़र उल-हसन ने कहा कि इस्लाम से पहले ड़कीयों को ज़िंदा दफन किया जाता था लेकिन इस्लाम ने इस लानत को ख़त्म किया है।

ताहम अब मुसलमानों में शादियों में बेजा रसूमात इस हद तक सरायत कर गए हैं कि किसी लड़की की शादी करना इस के ज़िम्मेदारों के लिए मुश्किल तरीन होगया है।

उन्होंने कहा कि उनसे एक नौजवान ने कहा था कि इस ने अपना एक गुर्दा फ़रोख़त करके एक बहन की शादी की जबकि उसे अपनी दूसरी बहन की शादी के लिए अपना दूसरा गुर्दा भी फ़रोख़त करना पड़ सकता है और उसकी ज़िंदगी ख़त्म होजाएगी। दुबई में एक तवील अर्सा से मुक़ीम पुराने शहर के एक शख़्स हाफ़िज़ मुहम्मद निज़ाम उद्दीन ने एडीटर सियासत की मुहिम की सताइश की और कहा कि उनकी इस मुहिम की तमाम हैदराबादी ताईद करते हैं और उनकी तरफ से मिल्लत की फ़लाह-ओ-बहबूद के लिए चलाई जाने वाली सरगर्मियों के साथ हैं।

सेमिनार में कसीर तादाद में हैदराबादी अवाम ने शिरकत की और इस मुहिम की शुरूआत के लिए जनाब ज़ाहिद अली ख़ां को मुबारकबाद पेश की।