ज़ाहिद अली ख़ां एडीटर रोज़नामा सियासत ने मुस्लिम ख़वातीन पर ज़ोर दिया कि वो शादीयों को आसान बनाने तहरीक को कामयाब बनाईं, ख़ास तौर पर उन्होंने लड़कों के वालिदैन से अपील की के वो मुतालिबात से गुरेज़ करें और अपनी बेबुनियाद ख़ाहिशात के नाम पर शादीयों को इसराफ़ से बचाएं, क्युंकि इस सूरत-ए-हाल से सारा मुस्लिम मुआशरा ग़ैरमामूली मुश्किलात-ओ-मसाइब से दो चार है।
उन्होंने कहा कि लड़की के वालिदैन को शादी पर पाँच लाख ता एक करोड़ के अख़राजात बर्दाश्त करने पड़ते हैं, जो नाक़ाबिल-ए-बर्दाश्त हैं। ज़ाहिद अली ख़ां एसए इम्पीरियल गार्डन टोलीचौकी में सियासत और एम डी एफ़ के ज़ेर-ए-एहतेमाम मुनाक़िदा 41वीं दु बा दु मुलाक़ात प्रोग्राम में सदारती तक़रीर कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि सियासत की तरफ से एक बेहतर तहरीक चलाई जा रही है, जिस का मक़सद शादीयों को आसान बनाना और मुसलमानों को इसराफ़ से बचाना है। इस तहरीक के ज़रीये हम मुसलमानों की मआशी हालत को बेहतर बनाना चाहते हैं, क्युंकि आमदनी का एक बड़ा हिस्सा शादी की तक़ारीब पर ख़र्च हो रहा है।
उन्होंने कहा कि घोड़े जोड़े की रक़म और जहेज़ के मुतालिबात आज के माहौल में जहालत-ओ-गुमराही के बराबर हैं। उन्होंने कहा कि बेजा रसूमात और ग़ैर इस्लामी तरीक़ों को अपनाने से शादीयों में ताख़ीर हो रही है। उन्होंने औकाफ़ी जायदादों के तहफ़्फ़ुज़ का ज़िक्र करते हुए कहा कि पुलिस एक्शण के बाद कई औकाफ़ी जायदादों को हड़प लिया गया। हैदराबाद में लैंको हिलस की 108 एकड़ अराज़ी दरअसल औकाफ़ी जायदाद है, जिस की बाज़याबी के लिए उन्होंने क़ौमी यकजहती कौंसिल मीटिंग में नुमाइंदगी की थी। इस के अलावा सोनीया गांधी, साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह और दुसरे मर्कज़ी क़ाइदीन से मसले को रुजू किया, लेकिन अफ़सोस की बात हैके कांग्रेस हुकूमत ने इस वक़्फ़ जायदाद को मुसलमानों के हवाले करने में कोई दिलचस्पी नहीं ली। इसी तरह 13 हज़ार एकड़ पर मुहीत राजीव गांधी बैन-उल-अक़वामी एयरपोर्ट बनाने जी एम आर को ज़िम्मेदारी दी गई थी, हालाँकि ये पूरी अराज़ी औकाफ़ी जायदाद है।
एयरपोर्ट का रन वे बनाने मस्जिद को शहीद किया गया। इस सिलसिले में हम ने हुकूमत को याददाश्त पेश की थी और मुतालिबा किया था कि एयरपोर्ट की आमदनी का 40 फ़ीसद वक़्फ़ बोर्ड को दिया जाये, लेकिन इस में भी हुकूमत ने मुसलमानों के एहसासात को नजरअंदाज़ कर दिया।
उन्होंने कहा कि अब तेलंगाना तशकील पा चुकी है और हुकूमत का फ़र्ज़ हैके वो औकाफ़ी जायदादों के मसले की यकसूई करे, ताके उन रक़ूमात के ज़रीये मुसलमानों की मदद की जा सके और इस रक़म को मुसलमानों के समाजी, मआशी और तालीमी मुआमले में ख़र्च किया जा सके।
उन्होंने शादी मुबारक स्कीम का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस से ग़रीब मुसलमानों को इस्तेफ़ादा करना चाहीए। लड़की की शादी के लिए हुकूमत की तरफ से 51 हज़ार रुपये दिए जा रहे हैं, आसान शराइत बनाई गई हैं। मुसलमानों को चाहीए कि सियासत हेल्पलाइन और ख़ुद महिकमा अक़लियती बहबूद से रब्त पैदा करें।