शादी में दहेज की मांग की तो उलेमा नहीं पढ़ाएंगे निकाह, जुर्माना भी भरना पड़ेगा 

शहज़ाद अब्बासी नई दिल्ली: दिल्ली के उत्तर नगर इलाक़े में आवाम और उलेमाओं ने फ़ैसला किया है कि शादी ब्याह में दहेज मांगने वालों का निकाह नहीं पढ़ाया जाए। इसके अलावा डीजे, नाच गाना और वीडियोग्राफी वग़ैरह में होने वाली फिज़ूलखर्ची पर रोक लगाने का फ़ैसला भी हुआ। इस बैठक में जहां आवाम ने ऐसे ख़र्च से बचने का इरादा किया, वहीं उलेमाओं ने ऐसी शादी में निकाह नहीं पढ़ाने के अलावा जुर्माना लगाने का फ़ैसला किया

मुस्लिम मुंतज़िमा कमेटी उत्तम नगर में मजलिस की सदारत ख़ालिद अली (सदर मुस्लिम मुंतज़िमा कमेटी उत्तम नगर) और निज़ामत मुफ़्ती मुहम्मद ताज़ीम क़ासमी (इमाम-ओ-ख़तीब जामा मस्जिद उत्तम नगर) ने अंजाम दी। इसमें विकास नगर, मोहन गार्डन, नजफ़गढ़, कमल पार्क, दुर्गा पार्क, द्वारका, अर्जुन पार्क, हरफूल विहार, प्रताब गार्डन, भगवती विहार, जनक पुरी, सीता पुरी, सागर पुर व अतराफ़ के उल्मा व अइम्मा इकराम, मसाजिदों व कमेटी के ज़िम्मेदारान और अवाम ने शिरकत की।

मुफ़्ती मुहम्मद ताज़ीम क़ासमी और दीगर उल्मा कहा कि मुस्लिम समाज में फैली रसूमात पर पाबंदी लगनी चाहिए और  निकाह को हुज़ूर और सहाबा किराम के तरीक़े पर करने और कराने की कोशिश करें।

उन्होंने कहा कि निकाह एक इबादत है लेकिन लोग इस में फुज़ूलखर्ची, शराबनोशी, खड़े होकर खाना खाना, वीडियोग्राफी, ढोल बाजा, डीजे, नाच-गाने की महफ़िलें आबाद करते हैं जो ठीक नहीं है। अगर क़ौम-ओ-मिल्लत जहेज़ के साथ-साथ दीगर फिजूलखर्ची छोड़ दे तो मिल्लत के आधे मसाइल ख़ुद ब-ख़ुद हल होते चले जाऐंगे।

मजलिस में इत्तिफ़ाक़ से लिए गए तमाम ग़ैर शरई रसूमात व ख़ुराफ़ात के फ़ैसले के ख़िलाफ़वरज़ी करने वाले, इस में मुलव्विस और ना बचने वाले हज़रात का बाइकाट किया जाएगा और उन पर 10000 रुपय का जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही, इस तरह के निकाह पढ़ाने वाले पर 5000 रुपय का जुर्माना लगाया जाऐगा। मजलिस का इख़तताम मुफ़्ती नसीम अहमद क़ासमी की दुआ पर हुआ।

मजलिस में मुफ़्ती सुहेल क़ासमी, मुफ़्ती मौलाना शहज़ाद, मुफ़्ती अदुस्समी , मुफ़्ती वसीम अकरम, मौलाना कलीम उल्लाह  क़ासमी, मौलाना सलाहउद्दीन, मौलाना अनीसु रहमान, मौलाना मुहम्मद याह्या, मौलाना सलीम अहमद, मौलाना मुहम्मद शमऊन, मौलाना मुहम्मद नईम बिलाल नदवी, हाफ़िज़ मुहम्मद रईस, हाफिज़ मुहम्मद साजिद व दीगर उलमाए किराम के इलावा काफ़ी तादाद में इलाक़ा और अतराफ़ की अवाम मौजूद थे।