शादी क़वानीन के मुसव्वदा की दुबारा तैयारी

पारलीमानी कमेटी की 4 कलीदी सिफ़ारिशात मंज़ूर करते हुए हुकूमत ने शादी क़वानीन के बिल का मुसव्वदा दुबारा तैयार कर लिया है जिस के मुताबिक़ हुकूमत चाहती है कि शादी के बाद ख़ातून को भी शौहर की जायदाद में हिस्सा दिया जाय।

तरमीम शूदा क़ानून इम्कान है कि जारीया हफ़्ता काबीना की मंज़ूरी के लिए पेश किया जाएगा। इस क़ानून के तहत उन को पैदा होने वाले बच्चों और मुतबन्ना बच्चों दोनों के हुक़ूक़ भी मुसावी होंगे। शादी क़वानीन (तरमीमी) बिल 2010 जो 2 साल क़ब्ल अगस्त में ऐवान-ए-बाला में पेश किया गया था, पारलीमानी स्टैंडिंग कमेटी बराए क़ानून-ओ-इंसाफ़-ओ-पर्सोनल को रवाना कर दिया गया था।

बिल की ताईद करते हुए जो शादी ख़तम कर देने के फ़ैसले को नाक़ाबिल तंसीख़ क़रार देने की ताईद करता है, तलाक़ मंज़ूर करने की एक नई वजह ज़ाहिर की गई है। गुज़श्ता साल मार्च में कमेटी में तलाक़ के लिए इंतेज़ार की मुद्दत का तरीका-ए-कार बर्ख़ास्त कर देने की मुख़ालिफ़त की थी।

इस क़ायदे के तहत इंतेज़ार की मुद्दत के बाद शादी के दोनों फ़रीक़ैन की जानिब से मुशतर्का तहरीक पेश करने पर भी शादी कुलअदम क़रार दी जाती थी। सिफ़ारिशात को जुज़वी तौर पर मंज़ूर करते हुए हुकूमत ने अब फ़ैसला किया है कि इंतेज़ार की मुद्दत का फ़ैसला अदालतें करेंगी।