शाम और अरब लीग

अरब लीग ने सदर शाम बशारुल असद को सबक़ सिखाने के लिए शाम की रुकनीयत मुअत्तल करदेने का फ़ैसला करके ज़ुलम-ओ-ज़्यादती, बदइंतिज़ामी के मौजूदा कल्चर को ख़तम करने की कोशिश की मगर इस का उल्टा असर ये दिखाई देने लगा है कि शाम के शहरों में मुवाफ़िक़ बशारुल असद मुज़ाहिरों ने हालात को मज़ीद अबतर बनादिया है। गुज़श्ता दो दिन से शाम में मौजूद बैरूनी मुल्कों के सिफ़ारतख़ानों पर हमले किए गए।

हुकूमत शाम के साथ मसला की यकसूई के लिए अरब लीग को शाम की मुअत्तली के बजाय मुतबादिल इक़दामात पर ग़ौर करने की ज़रूरत थी। मशरिक़-ए-वुसता में जिन ताक़तों के ज़रीया हालात बिगाड़े जा रहे हैं अगर वही ताक़तें शाम में सरगर्म होगई हैं तो फिर तीवनस, मिस्र, लीबिया के बाद शाम की बारी आचुकी है। मुख़ालिफ़ हुकूमत ताक़तों को हवा दे कर शाम के अवाम को सुख चैन से महरूम करदिया गया है।

सदर बशारुल असद पर इल्ज़ाम है कि वो अपनी हट धर्म या सख़्त पालिसीयों के ज़रीया बेगुनाहों को ज़ुलम-ओ-ज़्यादती का शिकार बनारहे हैं। अरब लीग ने शाम के हालात को फ़ौरी क़ाबू में करने के लिए शाम की रुकनीयत मुअत्तल करदी और शाम के ख़िलाफ़ तहदीदात नाफ़िज़ करदिए हैं तो अब सदर शाम के लिए ज़रूरी होगया है कि वो अपने मुल्क में जारी बदअमनी और तशद्दुद को रोकने के फ़ौरी इक़दामात करें। अरब अमन इक़दामात के मुताबिक़ वो अपनी कोशिशों को जारी रखें तो सूरत-ए-हाल जल्द से जल्द बेहतर होने की तवक़्क़ो है।

अरब लीग ने शाम की रुकनीयत की मुअत्तली की जो वजूहात बताई हैं इस का सयासी और हिक्मत-ए-अमली पर मबनी जायज़ा लिया जाना चाहिए। शाम के ख़िलाफ़ इक़दामात का ऐलान करने के साथ अरब लीग ने वुज़राए ख़ारिजा का हंगामी इजलास तलब करके शाम में अपने सफ़ीरों को वापिस तलब करने अरब मुल्कों पर ज़ोर दिया था। शाम के तमाम अप्पोज़ीशन ग्रुप आइन्दा चंद दिनों में मिस्र के क़ाहिरा में इत्तिफ़ाक़ राय पैदा करने की कोशिश करते हुए सदर शाम बशारुल असद के ख़िलाफ़ कोई ठोस क़दम उठाएं तो इस के दीगर नताइज का भी अंदाज़ा कर लेना ज़रूरी है।

शाम के बोहरान को ख़तम करने के मक़सद से अरब लीग का फ़ैसला दीगर मसाइल पैदा करदे तो इस से शाम के अवाम ही मुतास्सिर होंगे। अरब लीग के सख़्त मौक़िफ़ को देखते हुए अंदाज़ा होता है कि इस ने माज़ी में नरम रवैय्या से काम लिया था। अब इस के सख़्त गीर फ़ैसला से अप्पोज़ीशन ग्रुपस की हौसलाअफ़्ज़ाई होगी और अवाम की बड़ी तादाद अप्पोज़ीशन का साथ देगी लेकिन शाम में जारी हुकूमत हामी मुज़ाहिरों से अरब लीग या अप्पोज़ीशन के मंसूबों को धक्का पहूंच सकता है। इस में शक नहीं कि शाम के हालात को पुरअमन बनाने के लिए अरब लीग ने कोशिश की है।

चार माह क़बल ही अरब लीग ने हुकूमत शाम से राबिता क़ायम करके सूरत-ए-हाल पर क़ाबू पाने के लिए ज़ोर दिया मगर हालात बतदरीज अबतर होते जा रहे थे शाम के बोहरान का कोई सयासी हल तलाश करने के बजाय बशारुल असद की हुकूमत ने फ़ौजी ताक़त के ज़रीया मुख़ालिफ़ हुकूमत मुज़ाहिरों को रोकने की कोशिश की इस की वजह से अरब लीग और दूसरों के सब्र का पैमाना लबरेज़ होगया। शाम में सिलसिला वार तशद्दुद के वाक़ियात तशवीशनाक हैं।

लीबिया के बोहरान की तरह शाम में भी बोहरान से गुरेज़ करना ज़रूरी है इस लिए अगर अरब लीग ने शाम के बोहरान को हल करने की अपील की है तो अरब अक़्वाम को अपने फ्रेमवर्क के अंदर शाम के बोहरान का सयासी हल जल्द अज़ जल्द निकालना चाहिए। इस में दो राय नहीं कि इलाक़ाई अमन में शाम का अहम रोल रहा है।

लेकिन हालिया तशद्दुद के वाक़ियात और बदअमनी पर क़ाबू पाने में बशारुल असद हुकूमत की नाकामी ने अरब लीग को तशवीश में मुबतला करदिया शाम का मसला फ़िलहाल अरब लीग के पास है उसे अक़वाम-ए-मुत्तहिदा और दीगर आलमी तंज़ीमों के दरबार से रुजू करदिया गया तो शायद अरब मुल्कों में लीबिया के बाद शाम की बारी आने में ताख़ीर नहीं होगी। शाम में इस से पहले कि बैन-उल-अक़वामी मुदाख़िलत की नौबत आजाए हुकूमत शाम में भी लीबिया के मुनाज़िर का इआदा होगा।

क़ियाम अमन के लिए अरब लीग और शाम की अप्पोज़ीशन के दरमयान मुज़ाकरात जारी रखने के साथ अरब लीग को इस मुआमले में ग़ैर जानिब दाराना रोल अदा करने की ज़रूरत होगी। क्यों कि इस वक़्त हुकूमत शाम को बेदखल करने के मसला पर अप्पोज़ीशन में ही राय मुनक़सिम है। अगर बशारुल असद हुकूमत को बेदखल करके बैरूनी मुदाख़िलत की राह हमवार करने की हिमायत की गई तो इस से शाम के अवाम को भी तीवनस, मिस्र और लीबिया के हलात की तरह मसाइल से दो-चार होना पड़ेगा।

अरब लीग के हैड क्वार्टर्स पर शाम के अप्पोज़ीशन ग्रुप की मुलाक़ात के मुसबत नताइज बरामद करने की कोशिश की जानी चाहिए। अगर शाम की अप्पोज़ीशन और अरब लीग ने कोई नतीजा बरामद करने के बजाय मसला को मज़ीद पेचीदा बनाया तो बोहरान पर क़ाबू पाया नहीं जा सकेगा। हुकूमत शाम को मौक़ा दिया जाना चाहीए कि वो एक रोड मयाप बनाकर सयासी इस्लाहात लाए और आलमी बिरादरी भी इस जज़बा केसाथ हुकूमत का साथ दे तो हालात की बेहतरी की उम्मीद की जा सकती है।