शाम के सदर बशर अल असद की जानिब से अमन मंसूबे पर अमल दर आमद के वायदा के बावजूद मंगल को शामी फ़ौज और बागियों के दरमियान खूंरेज़ झड़पें फूट पड़े और हुकूमत ने इंतिहाई कशीदगी के कुछ मुक़ामात पर कुमक ( मदद) भेजी है। इंसानी हुक़ूक़ के लिए शामी मुशाहिदाती ग्रुप ने बताया कि लड़ाई जुनूबी सूबे दर्रा,शुमाल मग़रिबी अदलब सूबे और दार-उल-हकूमत के नज़दीक हो रही है।
असद हुकूमत के ख़िलाफ़ एक साला तहरीक के गहवारे दर्रा में बागियों के आर्मी चेक प्वाईंटस पर हमलों के बाद अनख़ल शहर में रात गए झड़प शुरू हुई। इसी इलाक़े में दर्जनों फ़ौजी गाड़ियां दाइल के गांव में पहुंची हैं जहां इससे एक रोज़ क़ब्ल फ़ौज ने कार्रवाई और गिरफ्तारियां की थीं।
दर्रा में एक सरगर्म कारकुन सय्यद महमूद ने स्काइप के ज़रीया बताया कि दाइल में सूरत-ए-हाल इंतिहाई कशीदा है।गुज़शता दिनों फ़ौज ने 14घरों को नज़र-ए-आतिश किया था और वो लोगों को गिरफ़्तार और उन्होंने कुमक ( मदद) के तौर पर फ़ौजी दस्ते भेजे हैं।
महमूद ने मज़ीद बताया कि लोगों को भूखा रखने की हुकूमती मुहिम के इलावा फ़ौजी घरों पर हमले ख़ुराक के ज़ख़ेरों और आलात को तबाह कर रहे हैं। मिसाल के तौर पर अगर वो सिलाई मशीन को भी देखते हैं तो उसे भी तबाह कर देते हैं,वो बेकरियों में जाते हैं और गूँधे हुए आटे को ज़ाए कर देते हैं और यौमिया 15 घंटों की बिजली की लोडशेडिंग है