आलमी तवज्जा जिहादियों के ख़िलाफ़ जंग पर मर्कूज़ है जब कि शामी हुकूमत ने हालिया हफ़्तों में मोहलिक बैरल बम हमलों में शिद्दत पैदा करदी है जिस से बेक़सूर शहरी हलाक हो रहे हैं और बड़े पैमाने पर तबाही फैल रही है। पंद्रह दिन से भी कम मुद्दत में शाम के जंगी तैयारों ने कम अज़ कम 401 बैरल बम बागियों के ज़ेरे क़ब्ज़ा 8 सूबों पर गिराए हैं।
शामी रसदगाह बराए इंसानी हुक़ूक़ के बामूजिब इंसानी हुक़ूक़ के कारकुन यासीन अब्दुल रईस ने क़स्बा अनादीन सूबा हलब से इत्तिला दी है कि उन के मकान को तीन बार बैरल बम हमलों का निशाना बनाया गया। ताज़ा तरीन हमलों में मकान मुकम्मल तौर पर तबाह हो गया।
उन्हों ने इंटरनेट के ज़रीए इत्तिला दी कि हमारी चारों तरफ़ मौत है, लेकिन किसी को भी उस की परवाह नहीं है। बैरल बमों से हमारे तमाम रिश्तेदार हलाक हो गए हैं, मकान तबाह हो चुके हैं, ख़ाबो यादें बिखर चुकी हैं। हमारे लिए कोई उम्मीद बाक़ी नहीं रही जिस के ज़रीए हलाकतों का ये सिलसिला रोका जा सकता हो।
इन तमाम हमलों के बावजूद कोई भी हमारी आवाज़ नहीं सुनता, किसी को भी हमारे दर्द का एहसास नहीं है। शामी रसदगाह ने जो हमलों और हलाकतों के आदादो शुमार जमा करती है, ज़्यादा तर सरगर्म नेटवर्क और जंग ज़दा शाम के डॉक्टरों की फ़राहम कर्दा इत्तिलाआत पर इन्हिसार करती है।
इन इत्तिलाआत के बामूजिब कम अज़ कम 232 बेक़सूर शहरी सरकारी फ़ौज के फ़िज़ाई हमलों में जिन में बैरल बम हमले भी शामिल हैं, 20 अक्टूबर से अब तक हलाक हो चुके हैं। हसन ने कहा कि वो और उस के साथी गहरे नफ़्सियाती ज़ख़्मों का शिकार हो गए हैं जब कि उन्हें मुतासरीन का ईलाज करना पड़ा।