शाम में अरब नगर इनकार ग्रुप

शाम में सूरत-ए-हाल अबतर हो जाए तो लीबिया, मिस्र, तीवनस के बाद सदर बशर अल असद की हुकूमत को ज़वाल का सामना करना पड़ेगा। जुमा के दिन शाम के कई शहरों में उन के ख़िलाफ़ अवाम की बड़ी तादाद ने एहतिजाजी मुज़ाहरा किया।

इस एहतिजाजी मुज़ाहिरे को देखते हुए अरब लीग के सरबराह को भी ये कहना पड़ा कि अगर ख़ूँरेज़ी का सिलसिला यूं ही जारी रहा तो शाम में ख़ानाजंगी भड़क सकती है। इस मुल्क में ख़ानाजंगी के असरात दीगर अरब मुल्कों तक फैल जाऐंगे।

अरब ममालिक ने शाम की बिगड़ती सूरत-ए-हाल पर क़ाबू पाने केलिए ही अरब लीग के नुमाइंदों को शाम रवाना किया था लेकिन ये नुमाइंदे अपने मिशन में नाकाम हुए। अरब लीग की टीम की नाकामी के बाद अमन मसाई की तवक़्क़ो करने वालों को धक्का पहूँचा है। शाम में अरब लीग के निगरान कारों को मुवाफ़िक़ बशर अल असद अवाम की तन्क़ीदों का सामना करना पड़ा है।

शाम के अवाम ने चार दहों से जारी इस हुक्मरानी को बेदखल करने का अज़म कर लिया है इस लिए यहां गुज़श्ता साल मार्च से बदअमनी की फ़िज़ा-ए-पाई जाती है। इस में 5000 से ज़ाइद अफ़राद हलाक होचुके हैं। शाम की अफ़्वाज ने अपने ही अवाम पर बंदूक़ तान कर सदर बशारालासद हुकूमत की मुख़ालिफ़ अवाम पालिसीयों का खूँरेज़ मुज़ाहरा किया है तो इस का अंजाम भी ख़ूनी होजाए तो ये अरब मुल्कों के लिए बहुत बुरी ख़बर होगी।

बशर अल असद के मुख़ालिफ़ीन को अपने मंसूबों में कब कामयाबी मिलेगी और इस एहतिजाज के नताइज शाम के अवाम के लिए कितने भयानक साबित होंगे इस का अंदाज़ा किए बगै़र ख़ूँरेज़ी को जारी रखा गया तो इस पर बाग़ियाना सरगर्मीयों में मसरूफ़ अफ़राद को सोचना चाहीए।

फ़ौज का रोल और एहतिजाजी अवाम का मौक़िफ़ इतना मज़बूत है कि हर दो को अपने मक़सद में कामयाबी नहीं मिलेगी अलबत्ता एक उम्मीद ये की जा सकती है कि एहितजाजी अवाम को इस वक़्त कामयाबी मिलेगी जब इन का साथ देने वाली ताक़तें नेक नीयती का मुज़ाहरा करें।

शाम की अफ़्वाज की एक बड़ी तादाद सदर बशर अल असद के ख़िलाफ़ जारी बग़ावत में शामिल होजाए तो फिर शाम के हालात यकसर बदल जाऐंगे। ये बग़ावत फ़िलफ़ौर ख़तन नहीं होसकती और शाम की सूरत-ए-हाल अरब के दीगर मुल्कों जैसे लीबिया, मिस्र, तीवनस की तरह नहीं होगी जहां अवाम की बग़ावत ने वहां के हुकमरानों को बेदखल करके रख दिया था।

आलमी सतह पर भी शाम के मुआमले में एक अलैहदा नज़रिया पाया जाता है। मग़रिबी दुनिया को मुदाख़िलत करने में पिस-ओ-पेश है। अगर शाम में ये लड़ाई ईसाईयों और कुर्दिश अक़ल्लीयती इलाक़ों में फैल जाय तो तब मग़रिबी ताक़तों को अपनी फ़िक्र लाहक़ होगी। जहां तक सदर बशर अल असद के इस अह्द का सवाल है कि वो शाम की सूरत-ए-हाल को बेहतर बनाएंगे।

बग़ावत को कुचल कर रख देंगे तो इस से ख़ानाजंगी के आसार मज़ीद नुमायां होंगे। यहां सब से शदीद धक्का अरबों को पहूंच रहा है जिन्हों ने शाम में अमन मंसूबा को कामयाब बनाने की कोशिश की थी। 26 दिसम्बर से अरब लीग के निग्र नक़्क़ारों ने सदर शाम बशर अल असद या बाग़ी ग्रुप को अमन की मेज़ तक लाने में कामयाब कोशिश नहीं की।

लेबनान, तुर्की, इराक़, अरबन और इसराईल की सरहदों से मरबूत शाम में गड़बड़ किसी भी पड़ोसी मुल्क के हक़ में बेहतर नहीं है। पड़ोसी ममालिक भी शाम की बदअमनी पर तशवीश रखते हैं। बल्कि यहां की लड़ाई के असरात मशरिक़-ए-वुसता पर भी मुरत्तिब होरहे हैं जिन के हलीफ़ ममालिक ईरान और लुबनान के हिज़्बुल्लाह ग्रुप को भी फ़िक्र लाहक़ होगई है।

अक़वाम-ए-मुत्तहिदा ने बढ़ते तशद्दुद और अम्वात में इज़ाफ़ा पर सिर्फ तशवीश का इज़हार किया है तो इस की ज़िम्मेदारी पूरी नहीं होती जब से अरब नगर इनकार शाम पहूंचे हैं तशद्दुद में मज़ीद इज़ाफ़ा हुआ है। एहितजाजी अवाम को ग़ुस्सा इस बात का है कि ये अरब नगर इनकार सिर्फ़ सदर बशारालासद को मोहलत देने के लिए कोशां हैं। ये अरब नगर इनकार शाम के ताल्लुक़ से अपनी रिपोर्ट में कोई ऐसी बात या तजवीज़ पेश नहीं करसकेंगे जिस की मदद से शाम में अमन बहाल किया जा सके।

अरब वुज़राए ख़ारिजा 19 जनवरी को अरब निग्र नक़्क़ारों की रिपोर्ट का जायज़ा लेंगे तो इस के साथ उन्हें ये भी फ़ैसला करना होगा कि आया इस तरह के अरब नगर इनकार ग्रुप को बरक़रार रखना चाहीए या नहीं। जिस ग्रुप ने कोई नतीजा बरामद नहीं किया उस की बरक़रारी भी कोई मायना नहीं रखती।

अरब लीग की मनफ़ी रिपोर्ट की सूरत में शाम का मुआमला यानी एक और अरब लीग का मसला अक़वाम-ए-मुत्तहिदा से रुजू होगा और इस के बाद अरब लीग का वजूद बे माना मुतसव्वर होगा। शाम के मसला पर अरब मुल्कों को ज़्यादा हस्सास होना चाहीए। अरब लीग इस पर मुनक़सिम होजाए तो मसला तूल इख़तियार कर सकता है। क़तर ने शाम के मुआमला में तन्क़ीदी पहलू इख़तियार किया है और अल्जीरिया ने बशारालासद के इख़तियार करदा मौक़िफ़ की मुदाफ़अत की है।

अरबों के मुनक़सिम रवैय्या पर ही सदर शाम ने अरब लीग के मंदूबीन की मुज़म्मत की। इन का ये ख़्याल किस हद तक दरुस्त है इस पर ग़ौर करना अरब लीग का काम है कि इस के नगर इंकारी की टीम ग़ैर मोस्सर है बल्कि अरब लीग उन की हुकूमत के ख़िलाफ़ आलमी साज़िश का साथ दे रहा है क्यों कि अरब लीग ने अपनी 60 साला तारीख़ में एक सख़्त क़दम उठाते हुए शाम की रुकनीयत मुअत्तल करदी जिस के बाद शाम को अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ काम करने के लिए ज़ोर दिया गया तो वो किस तरह ताबे होगा।